Aapka Rajasthan

वन विभाग की मंजूरी के बाद तेज होगा गरड़दा बांध का निर्माण, 44 गांवों को मिलेगी सिंचाई और पेयजल की सुविधा

 
वन विभाग की मंजूरी के बाद तेज होगा गरड़दा बांध का निर्माण, 44 गांवों को मिलेगी सिंचाई और पेयजल की सुविधा

बूंदी न्यूज़ डेस्क - गरड़ा बांध से पानी की उम्मीद लगाए बैठे हजारों लोगों के लिए खुशखबरी है। बांध परियोजना में नहरों का काम वन विभाग की आपत्ति के बाद रोक दिया गया था, लेकिन अब वन विभाग की आपत्तियां दूर होने के बाद रास्ता साफ हो गया है। यह बड़ा बांध 20 साल में पहली बार पानी से भरा है। इस बांध से 44 गांवों की 60 हजार बीघा जमीन सिंचित होगी। वहीं, जिले के 111 गांव और 98 ढाणियों को फायदा होगा। गरड़ा बांध बनाने का उद्देश्य भी गांवों में किसानों और आम लोगों को राहत पहुंचाना था। लेकिन, बांध बनाने का उद्देश्य सालों से पूरा नहीं हो रहा था।

बांध का निर्माण कार्य सितंबर 2003 में शुरू किया गया था। अगस्त 2010 में काम पूरा हुआ। लेकिन, 15 अगस्त 2010 को यह बांध अचानक क्षतिग्रस्त हो गया। उस समय बांध का 60 मीटर हिस्सा टूट गया था और उम्मीदें भी टूट गई थीं। हालांकि, बांध का निर्माण फिर से शुरू हुआ और काम पूरा हुआ। परियोजना के आगे बढ़ते ही 30 प्रतिशत नहरें वन्यजीवों के अधीन आ गई। ऐसे में वन विभाग ने इसे अपनी भूमि बताते हुए आपत्ति लगा दी। ऐसे में नहर निर्माण का कार्य अवरुद्ध हो गया। जब तक विभाग अपनी आपत्ति दूर नहीं करता, नहरों का काम शुरू नहीं हो सकता। पिछले दिनों दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय बैठक में वन विभाग ने यह आपत्ति वापस ले ली। इसके बाद अब जल्द ही नहर निर्माण का काम शुरू होने की उम्मीद है।

नहरों की कुल लंबाई 103.47 किलोमीटर में से 70 प्रतिशत भाग पूरा हो चुका है। इसमें से 18.57 हेक्टेयर भूमि वन भूमि में दर्ज है। इस बांध में पानी की क्षमता 44.38 एमसीएम है। इसकी गिनती बड़े बांधों में होती है। गरड़ा मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए 424.70 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। पिछले साल अप्रैल तक इस परियोजना पर कुल 356.60 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इस बांध से बूंदी तहसील के 44 गांवों को लाभ मिलना है। जबकि बांध परियोजना से पूरे जिले के 111 गांव और 98 बस्तियों को लाभ मिलेगा। बांध की नहर प्रणाली की लंबाई 103.47 किलोमीटर है।वन विभाग से आपत्ति वापसी का पत्र मिलने के बाद तेजी से काम होगा। हमने पहले से तैयारी कर रखी है। हम भी चाहते हैं कि किसानों को जल्द से जल्द नहर का पानी मिले।