बीकानेर में अनोखी परंपरा! इस जाति के युवा रस्सी काटकर करते हैं होली का समापन, जानिए परंपरा की कहानी

बीकानेर न्यूज़ डेस्क - राजस्थान के बीकानेर की होली अपने आप में अनूठी है। यहां होली अलग ही अंदाज में खेली जाती है। यहां होली से जुड़ी कई तरह की परंपराएं हैं, जिन्हें शहरवासी आज भी उत्साह के साथ निभाते आ रहे हैं। यहां होली पर एक अनूठी परंपरा है। इस परंपरा के बाद ही होली खत्म मानी जाती है। बीकानेर में होली पर तानी तोड़ने की परंपरा है, जो रियासत काल से चली आ रही है। रियासत काल से ही बारहगुवाड़ गुवाड़ चौक स्थित सूरदासानी मोहल्ले में तानी काटने की परंपरा का आयोजन किया जाता था।
जोशी जाति के पुरुष काटते हैं तानी
नत्थूसर गेट के बाहर वर्ष 1993 से इसका आयोजन किया जा रहा है। अब हर साल धुलंडी के दिन नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन होता है। पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियां काफी रोचक होती हैं। परंपरागत रूप से तानी को जोशी जाति के पुरुष द्वारा बलपूर्वक काटा जाता है। जागी काटते समय हवा में उछाले जाने वाले गुलाल से माहौल अजीब हो जाता है। तानी काटने से कई परंपराएं जुड़ी हैं। यह तानी जोशी जाति के पुरुष ही काटते हैं। तानी काटने वाला व्यक्ति किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर तानी काटता है। पूजा अर्चना सुरवासनी पुजारी जाति द्वारा की जाती है। ओझा, छंगाणी, सुरवासनी, किराडू, जोशी सहित समाज की विभिन्न जातियों के लोग पारंपरिक गैर में भाग लेते हैं।
कई घंटों की मेहनत के बाद तैयार होती है तानी
गैर में पहुंचने के बाद ही तानी काटने की रस्म शुरू होती है। तानी आयोजन से जुड़े राधेश्याम व्यास ने बताया कि तानी तैयार करने में सात किलो मुंज का उपयोग होता है। मुंज को चीरकर करीब 20 फीट लंबाई में तानी तैयार की जाती है। कई घंटों की मेहनत के बाद तानी तैयार होती है। तैयार तानी को करीब पांच से छह घंटे पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद इसे नाथूसर गेट के बाहर बांधा जाता है। तानी के साथ तोरण, कंकण होरा, दूध-दही की मटकी आदि भी बांधी जाती है। तानी परंपरा शुरू करने के लिए सुरदासनी पुजारी जाति द्वारा तानी बांधी जाती है।