राजस्थान के इस जिले में पाए गए सबसे अधिक GBS सिंड्रोम के मरीज, जानिए क्या है इस वायरस के लक्षण और कैसे करता है असर ?
बीकानेर न्यूज़ डेस्क- राजस्थान में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अकेले बीकानेर में हर माह तीस से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से जुड़े पीबीएम अस्पताल में औसतन हर दिन एक जीबीएस मरीज को भर्ती करना पड़ रहा है। अकेले न्यूरोलॉजी विभाग में ही नवंबर 2024 से अब तक 43 जीबीएस मरीज गंभीर हालत में भर्ती हो चुके हैं। इनमें से कुछ की मौत भी हो चुकी है। वहीं मेडिसिन विभाग के आंकड़े और भी चिंताजनक हैं। मेडिकल आईसीयू में हर दिन एक जीबीएस मरीज गंभीर हालत में भर्ती हो रहा है। हर चौथे मरीज की मौत भी हो रही है। बीकानेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में जीबीएस मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्टिव मोड पर है।
बीकानेर में मृत्यु दर पांच फीसदी
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. गुंजन सोनी ने दैनिक भास्कर को बताया कि पिछले कुछ महीनों में जीबीएस मरीजों में बढ़ोतरी हुई है, जो चिंताजनक है। डॉ. सोनी ने बताया कि बीकानेर में हर माह तीस से ज्यादा जीबीएस मरीज भर्ती हो रहे हैं। वैसे तो इस बीमारी में दस फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है, लेकिन बीकानेर में मृत्यु दर फिलहाल पांच फीसदी है। ऐसे में यहां हर महीने एक या दो मौतें हो रही हैं। पिछले चार महीनों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मरीजों में बढ़ोतरी हुई है।मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जगदीश कूकणा का कहना है कि उनके विभाग में हर महीने जीबीएस के सात से आठ मरीज आ रहे थे, जिनकी संख्या मार्च में बढ़कर तेरह हो गई है।नवंबर में सात, दिसंबर में आठ, जनवरी में नौ, फरवरी में छह मरीज आए, लेकिन अकेले मार्च में जीबीएस के तेरह मरीज भर्ती हुए हैं। पीबीएम अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में औसतन हर दिन एक नया मरीज भर्ती हो रहा है। मार्च महीने में पोस्ट कोरोना वार्ड में मेडिसिन यूनिट में भर्ती एक महिला की जीबीएस के कारण मौत हो चुकी है।
क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम?
यह परिधीय तंत्रिका तंत्र की बीमारी है। इससे हमारे शरीर का तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से निकलने वाली नसों पर ऑटो इम्यून अटैक होता है। अगर किसी को एक सप्ताह पहले वायरल संक्रमण हुआ है तो उस दौरान बनी एंटीबॉडी गलती से तंत्रिका तंत्र पर हमला करने लगती हैं। ये एंटीबॉडी रीढ़ की हड्डी से निकलने वाली नसों पर हमला करती हैं। इससे नसें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में हाथ-पैरों में दर्द होने लगता है। ज्यादातर मरीजों के पैरों में दर्द होने लगता है और वहां से यह ऊपर की ओर बढ़ता है। गले तक तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है। पैरों में लकवा और गले से आवाज नहीं आने की स्थिति बन जाती है। तेज गति से बढ़ने वाली यह बीमारी खतरनाक रूप ले लेती है।
बीमारी पुरानी लेकिन अब मामले बढ़े
डॉ. कूकणा का कहना है कि पहले महीने में दो-चार मामले ही आते थे लेकिन अब महीने में पच्चीस से तीस मामले बढ़ गए हैं। यह बीमारी कोरोना से पहले भी थी लेकिन कोरोना के बाद इसमें तेजी आई है। इसके कारणों पर शोध करने की जरूरत है।
यहां भी मिले जीबीएस के मामले
बीकानेर के अलावा राजस्थान के कई जिलों में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे हैं। जनवरी के आखिरी सप्ताह में जयपुर में तीन मामले सामने आने के बाद जयपुर में स्वास्थ्य विभाग एक्टिव मोड में आ गया था। इससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड में भी जीबीएस के मामले बढ़े हैं। खासकर पुणे में जीबीएस के मामले बड़ी संख्या में सामने आए थे। महाराष्ट्र में जीबीएस के 225 मामले सामने आए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र में इस बीमारी से 12 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें छह की पुष्टि हुई है।
