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Bikaner दादोजी महाराज लोहारजी की मूर्ति 2006 में 11 किलो चांदी से बनाई गई थी

 
Bikaner दादोजी महाराज लोहारजी की मूर्ति 2006 में 11 किलो चांदी से बनाई गई थी

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर देवली बीकानेर के श्रीरामसर रोड पर 259 वर्षों से ब्राह्मण सुनार समाज के झुंझार लोहारजी महाराज की पिंडी के रूप में स्थित है। यहां लोहारजी महाराज की चांदी की मूर्ति भी है, जिसे 2006 में बनाया गया था। यह चांदी की मूर्ति 8 वर्षों तक मेले के दौरान देवली में लाई गई थी। मेला खत्म होने के बाद इस मूर्ति को वापस अंदर रख दिया गया। 2014 में इस मूर्ति को देवली के पास बने मंदिर में स्थापित किया गया। इस मंदिर की खासियत यह है कि दादोजी लोहारजी महाराज की मूर्ति 11 किलो चांदी से बनी है। इसके अलावा इस मंदिर में हरसिद्धि माता की मूर्ति भी स्थापित है।

प्रहलाद सोनी ने दादोजी लोहारजी महाराज की चांदी की मूर्ति बनाई। प्रहलाद सोनी का कहना है कि दादोजी महाराज ने अपनी पत्नी के समक्ष दर्शन दिए थे। उसके बाद ही यह मूर्ति बनाई गई। वर्ष 2006 से 2014 तक हर साल मेले के दौरान यह मूर्ति निकाली जाती थी। बाद में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। शनिवार को झुंझारजी महाराज लोहारजी का मेला लगेगा, जिसमें समाज के हजारों लोग भाग लेंगे। इस दिन कट्टा गोत्र के वंशज यहां पहुंचते हैं। सुबह मंदिर में हवन होगा, जिसमें करीब 100 लोग आहुतियां देंगे। इसके अलावा शाम को महाआरती और भंडारा होगा। बताया जाता है कि समाज के परिवारों के जात-झूले यहां उतारे जाते हैं।

259 साल से लग रहा है देवली, 35 साल से यहां मेला लग रहा है

मेले में बनने वाले ठुमर को दही के साथ खाया जाता है: दादोजी महाराज लोहारजी के मेले में जचर खिचड़ा बनाया जाता है। इस खिचड़ी को ठुमर के नाम से जाना जाता है। इस ठुमर का उपयोग दही के साथ किया जाता है। ठुमर मूल रूप से बाजरे को पीसकर बनाया जाता है। इसे प्रसाद के साथ खाया जाता है। शनिवार को मेले के दौरान ठुमर और दही के साथ 9000 लोगों के लिए बूंदी बनाई गई है।

दादोजी महाराज मंदिर के पास है हरसिद्धि माता मंदिर

श्रीरामसर रोड पर दादोजी लोहारजी महाराज मंदिर के पास भी हरसिद्धि माता की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में हर समुदाय के लोग आते हैं। कहा जाता है कि हरसिद्धि माता का मूल मंदिर उज्जैन में है। बीकानेर का यह मंदिर उसी मंदिर की प्रतिकृति के रूप में बनाया गया है। यह देश में हरसिद्धि माता का दूसरा मंदिर है। इस मंदिर में माता की अखंड ज्योति के लिए एक बड़ा दीपक बनाया गया है जिसमें करीब 5 पीपे तेल एक साथ आ सकता है। शनिवार को मेले के दौरान इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचेगी।  श्रीरामसर रोड पर दादोजी लोहारजी महाराज का पिंडी स्वरूप देवली 259 वर्षों से है। इससे पहले यहां केवल ब्राह्मण सुनार समुदाय के परिवारों की जात-झडूले (एक प्रकार की माला) उतारी जाती थी। करीब 35 साल पहले ज्येष्ठ सुदी 2 को यहां मेला लगना शुरू हुआ था। इस मेले में बीकानेर से बाहर रहने वाले समाज के लोग भी भाग लेने आते हैं। शनिवार को लगने वाले मेले में जयपुर, जोधपुर, सूरत, दिल्ली, कोलकाता सहित अन्य स्थानों पर रहने वाले लोग आएंगे। मेला कमेटी अध्यक्ष जयनारायण सोनी व मंत्री शंकरलाल कट्टा बताते हैं कि जयपुर के शिवप्रकाश सोनी पिछले 35 साल से मेले को गुलाब के फूलों से सजाते आ रहे हैं।