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राजस्थान में यहां बनती है सबसे महंगी और आकर्षक गणगौर, कीमत सुनकर फटी रह जायेंगी आंखें

 
राजस्थान में यहां बनती है सबसे महंगी और आकर्षक गणगौर, कीमत सुनकर फटी रह जायेंगी आंखें 

बीकानेर न्यूज़ डेस्क - राजस्थान के बीकानेर की गणगौर अपनी खूबसूरती और शिल्पकला के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां गणगौर की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है। हाल ही में बीकानेर में ढाई लाख की गवर तैयार होकर बिकी और गवर व ईसर की संयुक्त कीमत करीब पांच लाख रुपए है। यहां की गवर को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी महिला को खड़ा कर दिया गया हो। बीकानेर के विश्वकर्मा गेट के अंदर गणगौर बनाने वाले कारीगर इन दिनों गवर व ईसर बनाने में जुटे हैं। वे सुबह से शाम तक इसी काम में जुटे रहते हैं। यहां सांगवान की लकड़ी से गवर व ईसर बनाई जाती है। इनके द्वारा बनाई गई गवर देश-विदेश में जाती है। करीब एक माह पहले जोधपुर निवासी एक व्यक्ति जो फिलहाल अमेरिका में रहता है, के यहां गवर भेजी गई। इसके अलावा मुंबई, कोलकाता, दिल्ली व चेन्नई समेत राजस्थान के कोने-कोने से ऑर्डर मिलते हैं।

30 हजार से 5 लाख तक में बनती है गणगौर
ईश्वरदास आर्ट गैलरी के संचालक सांवरलाल सुथार ने बताया कि गवर व ईसर बनाने का काम पीढ़ियों से चला आ रहा है। यह काम करीब तीन से चार पीढ़ियों से चल रहा है। हर साल गणगौर बनाई जाती है। यहां 30 हजार से लेकर ढाई लाख और पांच लाख तक की गणगौर और ईशर बनाई जाती है। हाल ही में सिर्फ गणगौर बनाई गई है, इसकी कीमत ढाई लाख है और अगर ईशर बनाई जाए तो दोनों मिलाकर पांच लाख तक खर्च होते हैं। उन्होंने बताया कि पांच फीट लंबी गणगौर बनाने में करीब दो से ढाई महीने का समय लगता है। तीन से चार कारीगर मिलकर इस गणगौर को तैयार करते हैं। फिलहाल गणगौर के त्योहार को देखते हुए सात से आठ लोग मिलकर काम कर रहे हैं। यह काम पूरे साल चलता है। हर साल 50 से 60 गणगौर के ऑर्डर मिलते हैं।

गणगौर बनाने का काम सालभर चलता है
उन्होंने बताया कि हालांकि इस साल गणगौर बनाने का ऑर्डर बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग साइज की गवर और ईशर बनाई जाती हैं। सबसे बड़ी गवर और ईशर चार फीट की होती हैं। यहां गणगौर बनाने की तीन अलग-अलग प्रक्रिया होती है। सबसे पहले लकड़ी की गणगौर को उसके आकार और आकृति के अनुसार ढालकर बनाया जाता है। इसके बाद चित्रकार उस पर रंग भरता है और फिर आंख, नाक और कान बनाकर उसे आकार दिया जाता है। इसके बाद सजावट और श्रृंगार का काम होता है और यह सब होने के बाद गणगौर पूरी तरह से तैयार हो जाती है।