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जोरदार हंगामे के बीच विधानसभा में पारित हुआ भरतपुर-बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक, कांग्रेस ने किया वॉकआउट

 
जोरदार हंगामे के बीच विधानसभा में पारित हुआ भरतपुर-बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक, कांग्रेस ने किया वॉकआउट

बीकानेर न्यूज़ डेस्क - राजस्थान विधानसभा में बुधवार (12 मार्च) को भरतपुर एवं बीकानेर विकास प्राधिकरण विधेयक 2025 पारित हो गया। सदन में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने विधेयक का प्रस्ताव रखा, जिसे बहुमत से पारित कर दिया गया। हालांकि, कांग्रेस ने इन विधेयकों का कड़ा विरोध किया।

"सरकार गलती करती है और फिर उसे छिपा लेती है"
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार बिना चर्चा के विधेयक पारित कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की क्या मजबूरी थी कि अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ी? पहले सरकार गलती करती है और फिर उसे छिपाने की कोशिश होती है।

इसलिए पारित हो गए 3 महत्वपूर्ण विधेयक"
टीकाराम जूली ने कहा कि नियमानुसार कोई भी विधेयक सदन शुरू होने के 6 सप्ताह के भीतर पेश कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पास बहुमत है, इसलिए महज एक घंटे में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो गए। 

विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करना कांग्रेस की नीति बन गई है"
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करना कांग्रेस की नीति बन गई है। उन्होंने कहा कि सरकार राजस्थान के हर क्षेत्र का समग्र विकास चाहती है, लेकिन कांग्रेस के पास कोई मुद्दा या विजन नहीं है और वह केवल विरोध करने का बहाना ढूंढ रही है। इसके साथ ही संसदीय कार्य मंत्री ने कांग्रेस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की भी मांग की।

कांग्रेस विधायक ने इसे 'काला दिन' बताया
कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। हरिमोहन शर्मा ने कानूनी तौर पर इसे 'काला दिन' बताया और आरोप लगाया कि सरकार बिना किसी तैयारी के केवल कानून पारित कर रही है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की राय लिए बिना यह निर्णय लिया गया, जो पूरी तरह अनुचित है। हरिमोहन शर्मा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक आम आदमी के हितों की अनदेखी कर प्राधिकरण बनाने के लिए उठाया गया राजनीतिक कदम है। विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इतना महत्वपूर्ण कानून पारित करने से पहले सभी की राय ली जानी चाहिए थी। कांग्रेस विधायकों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कड़ा विरोध जताया और इस पर जनमत संग्रह की मांग की।