Bikaner 3 जगहों से जलनिकासी के लिए 100 करोड़ रुपए की घोषणा, मिले सिर्फ 59 करोड़ रुपए

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर वल्लभ गार्डन, खुदखुदा नाला और सुजानदेसर के पानी को मैनेज करने के लिए मुख्यमंत्री ने पिछले बजट में 100 करोड़ रुपए का ऐलान किया था। जिला प्रशासन के दबाव में 24 प्वाइंट और जोड़ दिए गए। कुल 27 प्वाइंट पर जलभराव प्रबंधन के लिए डीपीआर बनी तो खर्चा भी बढ़कर 222.38 करोड़ पहुंच गया। सीएम ने 100 करोड़ देने को कहा था उसमें भी 41 करोड़ की कैंची वित्त विभाग ने चला दी।पूर्व कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल के समय 2023 में वल्लभ गार्डन की पाल टूटी थी। तब उन्होंने एक कमेटी बनाकर इसका स्थायी समाधान तलाशने के लिए कहा था। कमेटी ने वल्लभ गार्डन, खुदखुदा नाला और सुजानदेसर के पानी के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट बताया था। जिसे मौजूदा सीएम ने पिछले बजट में 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया था।
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मौजूदा कलेक्टर ने बाकी शहर के 24 प्वाइंट वो भी जुड़वाए जहां पानी भरता है। इसकी लागत आंकी गई तो 222.38 करोड़ रुपए आई। क्योंकि इस साल का बजट आना है तो वित्त विभाग पर पिछली घोषणा का दबाव आया। 222.38 करोड़ की जगह वित्त विभाग ने कांट-छांट कर सिर्फ 59 करोड़ रुपए ही देने का ऐलान किया। डीएलबी जयपुर के सूत्र बताते हैं कि वित्त विभाग ने अभी तक लिखित में तो नहीं भेजा मगर 31 जनवरी को बैठक हुई उसमें वित्त विभाग ने इतनी ही राशि देने पर हामी भरी है। अब सवाल ये है कि फिर ये विकास कैसे होगा।
ड्रेनेज का मास्टर प्लान तैयार, पर ऐसे तो कई फेज लगेंगे
शहर के 29 पानी भरने वाले इलाके तय हो गए। उनका समाधान कैसे होगा ये भी तय हो गया लेकिन सवाल ये है कि पहले फेज में जो 100 करोड़ रुपए आंके थे उसमें ही कटौती हो गई तो सेकंड फेज के लिए 163.38 करोड़ रुपए कैसे और कहां से आएंगे।हैरानी की बात ये है कि बीकानेर पूर्व की विधायक को इससे कोई मतलब नहीं कि शहर के लिए सीएम से बात करनी चाहिए या नहीं। बीकानेर पश्चिम विधायक कुछ हद तक सरकार पर दबाव बना भी रहे लेकिन अगर दोनों विधायक मिलकर अभी भी दबाव बनाएं तो राशि मिल सकती है।
59 करोड़ से दो प्वाइंट सही होंगे, 27 स्थानों पर शहर में होगा जलभराव
सवाल... क्या अगले बजट में सीएम सुनेंगे
शहरवासियों का सवाल ये है कि सीएम ने 100 करोड़ रुपए दिए उसमें से वित्त विभाग ने 41 करोड की कट क्यों लगाई क्या मुख्यमंत्री इस मामले में अधिकारियों से सवाल-जवाब करेंगे। जब मुख्यमंत्री की बजट घोषणा पर ही कैंची चलेगी तो भाजपा कैसे ये दावा कर सकती है कि बजट घोषणा में बजट की कमी नहीं है। शहर की जो डीपीआर 222.38 करोड़ की बनी है क्या उसे पूरा करने के लिए आने वाले बजट में मुख्यमंत्री फिर से राशि का इंतजाम करेंगे। हालांकि ये जिले के विधायकों पर भी निर्भर है। कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा, जेठानंद व्यास, सिद्धि कुमारी बीकानेर शहर में ही रहते हैं। अंशुमान सिंह भाटी का आवास भी शहर में हैं। डॉ.विश्वनाथ मेघवाल भी शहर में ही रहते हैं। ताराचंद सारस्वत का मकान भी बसंत बिहार में हैं। यानी सभी 6 विधायक मिलकर शहर के ड्रेनेज के लिए राशि का इंतजाम नही करा पा रहे।
वित्त विभाग की कैंची का असर बीकानेर शहर पर पड़ना तय है। मुख्यमंत्री भले ही विकास का सपना संजोए रहें मगर उनके ही अधिकारी उनकी मंशा को सफल नहीं देंगे। 222.38 करोड़ की डीपीआर के बाद तय हुआ था कि पिछले बजट की घोषणा की 100 करोड़ रुपए से वल्लभ गार्डन, खुदखुदा, सुजानदेसर, नगर निगम के सामने, भुट्टो का चौराहा, कोठारी हॉस्पिटल, पूगल रोड, ढोलामारू होटल रोड और कलेक्ट्रेट में भरने वाले पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा।अब दिक्कत ये है कि जो 59 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं उतने में सिर्फ वल्लभ गार्डन, खुदखुदा, सुजानदेसर की समस्या का ही समाधान होगा। यानी सिर्फ इमरजेंसी समस्या का ही समाधान होगा। नगर निगम का इलाका हो या पूगल रोड, या गजनेर रोड हो या कोई कलेक्ट्रेट। यहां अगली बारिश में भी शहर को डूबना होगा।