राजस्थान में मौसमी बीमारियों का प्रकोप, अस्पतालों में भीड़, जानें आंकड़ा
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, इस समय मौसमी बीमारियों के चलते मलेरिया एवं डेंगू के मच्छरों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आम लोगों की नींद भी उड़ा रखी है। शुक्रवार को डेंगू से कोटा जिले के करवाड़ गांव में नर्सिंग छात्रा की मौत हो गई। कोटा जिले में डेंगू से मौत का पहला मामला सामने आया है। इधर, चिकित्सा विभाग अलर्ट हो गया। वहीं डेंगू एवं मलेरिया के बाद अब चिकनगुनिजा जैसे लक्षणों के मरीजों का भी अस्पताल आना जारी हो गया है।
इससे स्वास्थ्य विभाग भी खासा हैरान और परेशान है। हालांकि, चिकित्सकों ने लक्षणों के आधार पर ही इलाज भी शुरू कर दिया है, ताकि जब तक रिपोर्ट आए, तब तक मरीज को कुछ राहत मिल सके। चिकित्सकों का मानना है कि दिसंबर तक चिकनगुनिया अपना पैर पसार सकता है।इसलिए इन बीच के महीनों में खुद का खास ख्याल रखने की जरूरत है। हालांकि अभी तक इस प्रकार के मरीजों को भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है, फिर भी चिकनगुनिया जैसे लक्षणों को देखते हुए दवाइयां दी जा रही हैं और रक्त के सैंपल भी लिए जा रहे हैं।
प्रतिदिन सौ मरीजों में दिख रहे लक्षण
इस समय पीबीएम अस्पताल के अलावा चिकित्सकों के घरों पर भी मौसमी बीमारियों से पीड़ितों का आना जारी है। इन सभी मरीजों को दवाइयां देने के अलावा चिकित्सक मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया की जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक पीबीएम अस्पताल सहित चिकित्सकों के घरों में प्रतिदिन सौ मरीजों में चिकनगुनिया जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं। मलेरिया एवं डेंगू के रोगी तो लंबे समय से आ रहे हैं।गत एक सप्ताह से चिकनगुनिया के लक्षणों वाले रोगियों का भी आना शुरू हो गया है। शुरुआत के दिनों में तो चिकित्सक मरीज को सामान्य वायरल समझ कर दवाइयां दे रहे थे, लेकिन रोगियों के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने के बाद चिकनगुनिया की जांच के लिए सैंपल भेजने लगे।
इन्हें ज्यादा जोखिम
अधिक गंभीर बीमारी से पीड़ितों के अलावा जन्म के समय संक्रमित हुए नवजात शिशु, वृद्ध वयस्क (65 वर्ष) तथा उच्च रक्तचाप, मधुमेह या हृदय रोग जैसी चिकित्सा स्थितियों से ग्रस्त लोग इनमें शामिल हैं।ज़्यादातर मरीज़ एक हफ़्ते में बेहतर महसूस करते हैं। हालांकि, जोड़ों का दर्द गंभीर और अक्षम करने वाला हो सकता है और महीनों तक बना रह सकता है।