Bikaner विकास से महरूम गांव में पड़े महज पांच वोट, गांव ने बनाया रिकॉर्ड
जहां तक कम मतदान की बात है, तो आजादी के 78 साल बाद भी यहां सड़क, बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का न होना मुख्य कारण माना जा रहा है। जो इस बार विस्फोटक रूप से सामने आ गया। जबकि ज्यादा मतदान की वजह गांव का शत-प्रतिशत शिक्षित होना प्रमुख रहा। लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के प्रति जागरूक रहे। शासन-प्रशासन के तालमेल से इलाके का विकास हुआ। मूलभूत सुविधाओं पर काम हुआ। नतीजा यह हुआ कि यहां लोकतंत्र में लोगों की आस्था बढ़ी। पहले विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक मतदान की होड़ रही। अब लोकसभा चुनाव में भी यही नजारा दिखा।
खाजूवाला क्षेत्र के गांव फलांवाली तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। बिजली की आपूर्ति नहीं होती। ग्रामीणों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा। परेशान ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में मतदान न करने की ठानी और मतदान केन्द्र तक नहीं पहुंचे। प्रशासन ने यहां समझाइश कर पांच वोट तो डलवा लिए, लेकिन बुरी तरह त्रस्त ग्रामीणों ने एक तरह से मतदान का बहिष्कार ही रखा। गांव के सरपंच बजरंग सिंह के शब्दों में...आजादी के 78 साल बाद भी कच्चा रास्ता, शिक्षा, बिजली, पीने के पानी की व्यवस्था गांव तक नहीं पहुंचने से ग्रामीणों का नेताओं पर से भरोसा ही उठ गया।
विस चुनाव में भी अव्वल रहा बराला
खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के बराला का बूथ विधानसभा चुनाव के दौरान भी सर्वाधिक मतदान कर प्रथम स्थान पर रहा। सरपंच गिरधारीलाल के मुताबिक, शत-प्रतिशत शिक्षित ग्रामीणों वाले इस गांव के लोगों में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता है। गांव में लगातार विकास के काम हुए हैं। यही वजह है कि अब लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतदान किया।
