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Bikaner जेल में कैदी बना रहे सूती कपड़ा, प्रदेश की जेलों में करेंगे सप्लाई

 
Bikaner जेल में कैदी बना रहे सूती कपड़ा, प्रदेश की जेलों में करेंगे सप्लाई
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर केन्द्रीय कारागार बीकानेर ने एक और नवाचार करते हुए कपड़ा निर्माण इकाई की स्थापना की है। कपड़ा उद्योग के लिए जेल में दो इकाई (लूम) चालू की गई हैं। आठ से नौ घंटे प्रतिदिन कपड़े का निर्माण किया जा रहा है। यह कपड़ा बीकानेर मंडल की श्रीगंगानगर, नोखा, हनुमानगढ़, सूरतगढ़, नोहर जेलों में सप्लाई किया जाएगा।इसके अलावा अतिरिक्त कपड़े का उत्पादन होने पर बाजार में आम-आदमियों के लिए बिक्री की जाएगी। फिलहाल यह कपड़ा बंदियों को आपूर्ति के लिए तैयार किया जा रहा है।गौरतलब है कि बीकानेर मंडल कारागार में एक हजार से ज्यादा बंदी हैं। इनमें सजायाता बंदियों की संया 600 से अधिक है। खादी व सूत के कपड़े बनाने के लिए पहले चरण में 8 बंदियों को लगाया गया है। खादी के कपड़े बनाने के लिए कैदियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें खादी व सूत के कपड़े बनाने में महारत हासिल है। कपड़े बनाने के बदले में बंदियों को 159 रुपए प्रतिदिन पारिश्रमिक मिलता है।

जेलों के साथ-साथ बाजार में भी बेचेंगे

बीकानेर जेल के बंदी खादी के कई तरह के कपड़े बनाते हैं, जिनमें कुर्ता-पायजामा, गंजी और गमछा शामिल है। प्रदेश की जेलों में बंदियों को गंजी और गमछे की आवश्यकता अधिक रहती है। ऐसे में प्रदेश की अजमेर व अन्य जेलों के बाद बीकानेर में भी कपड़े का उत्पादन किया जाने लगा है। बीकानेर जेल में खादी के कपड़े बनाने के लिए दो लूम लगाई गईं हैं। 8 सजायाता बंदी इस काम में लगे हैं।

फिनायल भी बनातेहैं कैदी

बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बंदियों के लिए फिनाइल उद्योग भी संचालित है ।जेल में फिनायल का निर्माण किया जाता है। यह फिनायल जरूरत के अनुसार विभिन्न जेलों में भेजी जाती है। इसके लिए कैदियों को पूर्व में ट्रेंड किया गया था। फिनायल डिमांड होने अनुसार बनाया जाता है। अब दूसरी जेलों से डिमांड के अनुसार कपड़े, फिनायल व अन्य सामग्री का उत्पादन किया जाएगा। इस काम में अधिकांशत. सजायाता बंदी ही शामिल हैं। गौरतलब है कि बीकानेर जेल में पहले कोरोना के समय मिर्च-मसाले भी तैयार किए जाते थे, जो मंडल की अन्य जेलों में सप्लाई किए जाते थे। अब मिर्च मसाले बीकानेर जेल की जरूरत के मुताबिक तैयार किए जाते हैं।