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Bikaner Junagadh Fort के बारे में वो जानकारियां और रहस्य जिन्हे जानना जरूरी है

 
Bikaner Junagadh Fort के बारे में वो जानकारियां और रहस्य जिन्हे जानना जरूरी है

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, जूनागढ़ क़िला राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित लोकप्रिय आकर्षण है। पहले इस किले का नाम चिंतामणि था जिसे 20वीं शताब्दी में बदलकर जूनागढ़ रख दिया गया। यह दुर्गम किला राजा राय सिंह द्वारा वर्ष 1593 में बनाया गया था। यह किला अनूप महल, गंगा निवास, जैसे कई खूबसूरत महलों महल, चंद्र महल, फूल महल, करण महल, और शीश महल अदि महलों से घिरा हुआ है। यह किला राजस्थान के उन किलों में आता है जो पहाड़ी की चोटी पर नहीं बने हैं।

जूनागढ़ किला का निर्माण सन् 1588 से 1593 के बीच किया गया था। यह एक भव्य किला हैं, जो अपराजेय शक्ति के साथ स्वाभिमान के साथ खड़ा है। मूल रूप से इस किले का नाम चिंतामणि था जिसे 20वीं शताब्दी में बदलकर जूनागढ़ और “पुराना किला” रख दिया गया, जब शासन करने वालो के परिवार किले की सीमाओं के बाहर लालगढ़ महल में स्थानांतरित हो गए थे।

जूनागढ़ किला आज भी गर्व से यह अपना इतिहास बयान करता है। वर्तमान बीकानेर शहर किले के आस-पास ही विकसित हुआ है। इस किले का निर्माण लाल बलुआ पथरों के द्वारा किया गया है। इस किले के चारों तरफ़ एक किलोमीटर लम्बी दीवार बनी हुई है। 5.28 हेक्टार्स के विशाल क्षेत्रफल में बने इस किले में महल, मंदिर और मंडप मौजूद है। ये इमारते समग्र संस्कृति और वास्तुकला शैली को दर्शाती है।

जूनागढ़ किले का इतिहास – Junagadh Fort History 
कहते हैं कि इतिहास में सिर्फ एक बार किसी गैर शासक द्वारा इस भव्य किले पर कब्जा किए जाने के प्रयास का जिक्र होता है। कहा जाता है कि मुगल शासक कामरान जूनागढ़ की गद्दी हथियाने और किले पर फतह करने में कामयाब हो गया था, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उसे सिंहासन छोड़ना पड़ा।
 
किले का निर्माण बीकानेर के शासक राजा राय सिंह के प्रधान मंत्री करण चंद की निगरानी में किया गया था, राजा राय सिंह ने 1571 से 1611 ईस्वी के बीच बीकानेर पर शासन किया था। किले की दीवारों और खाई का निर्माणकार्य 1589 में शुरू हुआ था और 1594 में पूरा हुआ था। राजा राय सिंह जी वास्तुकला और कला के विशेषज्ञ थे। ये किला वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और कला का केंद्र भी है, जो थार मरुस्थल के मध्य में स्थित है।

इतिहासकारों के अनुसार इस दुर्ग के पाये की नींव 30 जनवरी 1589 को गुरुवार के दिन डाली गई थी। इसकी आधारशिला 17 फरवरी 1589 को रखी गई। इसका निर्माण 17 जनवरी 1594 गुरुवार को पूरा हुआ। स्थापत्य, पुरातत्व व ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस किले के निर्माण में तुर्की की शैली अपनाई गई जिसमें दीवारें अंदर की तरफ झुकी हुई होती हैं। दुर्ग में निर्मित महल में दिल्ली, आगरा व लाहौर स्थिति महलों की भी झलक मिलती है।

1818 में एक संधि पर हस्ताक्षर करने के पश्चात जूनागढ़ किला ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया, क्योकि बिकनेर के महाराजा ने जूनागढ़ किले के नवीनीकरण पर भारी निवेश किया था। 18वीं शताब्दी के दौरान, संधि पर हस्ताक्षर करने से पूर्व, बीकानेर और जोधपुर और बाकी ठाकुरों के मध्य आपसी युद्ध होने लगा था, जिसे ब्रिटिश सैनिकों ने खत्म करवाया था। जिस दौरान जोधपुर की सेना ने आक्रमण किया था, किले के दो द्वार (एक पूर्व में और दूसरा पश्चिम में) और पूर्वी प्रवेश द्वारा व् किले की दक्षिणी दिवार क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिस पर आज भी तोप के गोलों के निशान देखने को मिलते है।

जूनागढ़ किला अनूप महल, गंगा निवास, जैसे कई खूबसूरत महलों महल, चंद्र महल, फूल महल, करण महल,और शीश महल अदि महलों से घिरा हुआ है। अनूप महल सोने की पत्ती चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। चन्द्र महल चूने के प्लास्टर पर किये जाने वाले उत्तम चित्रों से सजा हुआ है। करण महल का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब के द्वारा बीकानेर के राजाओं के विजय को मनाने के लिए किया गया था। इन महलों का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है जो कि दुलमेरा के नाम से भी जाना जाता है।

यहां आपको संस्कृत और फारसी में लिखी गई कई पांडुलिपियां भी मिल जाएंगी। जूनागढ़ किले के अंदर बना संग्रहालय बीकानेर और राजस्थान में सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। इस किला संग्रहालय में कुछ बहुत ही दुर्लभ चित्र, गहने, हथियार, पहले विश्वयुद्ध के बाइप्लेन आदि हैं।

किले की 986 लंबी दीवारें, 37 गढ़ है और दो प्रवेश द्वार है। क़िले को दो दरवाज़े को जिसे दौलतपोल और सुराजपोल कहा जाता है। दोलतपोल में सती हुई राजपूत महिलाओं के हाथों की छाप है। क़िले के दूसरे दरवाज़े चांद पोल वगैरह है। पर्यटकों के मुख्य प्रवेश द्वार, करण किले के पोल पर हैं। यहाँ किले के अंदर एक मंदिर स्थित है। यह देवी – देवताओं की पूजा के लिए बीकानेर के शाही परिवारों द्वारा इस्तेमाल किया गया था। दरबार हॉल, गज मंदिर, और सूरज पोल किले के अन्य प्रसिद्ध आकर्षण हैं।

किले के भीतर स्थित संग्रहालय को “जूनागढ़ किला संग्रहालय” के नाम से जाना जाता है जिसकी स्थापन सं 1961 में महाराजा डॉ करनी सिंह जी ने “महाराजा राय सिंह जी ट्रस्ट” के नियंत्रण में की थी। किले में पहुंचते ही भगवान गणेश के दर्शन होते हैं जिन्हें गढ़ गणेश के नाम से भी जाना जाता है। इस किले के चारों तरफ़ प्रकृतिक रंगों से शानदार पेंटिंग की गयी है।