6 करोड़ खर्च करने के बाद भी नाले ओवरफ्लो, हैल्थ शाखा सिर्फ सड़कों की सफाई तक सीमित, व्यवस्था चरमराई
शहर में नालों की सफाई पर लाखों–करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। नगरपालिका प्रशासन ने इस वर्ष नालों की सफाई पर लगभग 6 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा किया है, लेकिन इसके बावजूद कई क्षेत्रों में नाले बारिश न होने के बाद भी ओवरफ्लो हो रहे हैं। स्थिति यह है कि गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है और बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। स्थानीय निवासी सफाई शाखा पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, नगर निगम की हैल्थ शाखा सफाई व्यवस्था की मुख्य जिम्मेदार है। लेकिन कई वार्डों में नालों की सफाई बिल्कुल नहीं हो रही और जहां हो भी रही है, वह केवल दिखावे तक सीमित है। कई इलाकों में नालों की मिट्टी और कचरा हटाने के बजाय सिर्फ ऊपर की परत को साफ कर फोटो खींचकर काम पूरा दिखा दिया जाता है। नतीजतन पहली ही गंदगी या हल्की बरसात में नाले उफान पर आ जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हैल्थ शाखा केवल सड़क सफाई को ही अपनी जिम्मेदारी समझती है, जबकि नालों की सफाई भी उसी की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद नालों को नियमित रूप से साफ नहीं किया जाता। कई जगहों पर पिछले साल की गंदगी अभी तक जमा है, जिससे पानी का बहाव रुक जाता है और नाले ओवरफ्लो होने लगते हैं। बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।
नागरिकों का कहना है कि 6 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी हालात ऐसे हैं तो सवाल उठना लाजमी है कि यह पैसा आखिर खर्च कहां हुआ। कई क्षेत्रों—जैसे वार्ड नंबर 32, 41, 47 और 52—में लोग लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं, पर कार्रवाई ठोस स्तर पर नहीं होती। नाला सफाई का काम ठेके पर दिया जाता है, लेकिन निगरानी न होने के कारण काम अधूरा ही छोड़ दिया जाता है।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि सभी वार्डों में सफाई कार्य कराया गया है और शत-प्रतिशत सफाई का दावा भी किया जा रहा है। वहीं, निगम के भीतर से ही कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हैल्थ शाखा में स्टाफ की कमी और मशीनों की खराबी के कारण नाला सफाई की गति बेहद धीमी है। इसके चलते कई जगहों पर कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाता।
नालों के ओवरफ्लो होने से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। कई दुकानदारों ने बताया कि गंदा पानी दुकानों के सामने भरने से ग्राहक आना कम हो गए हैं। वहीं, घरों के सामने नाले से उठ रही बदबू से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय पार्षदों ने भी नगर निगम प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब-जब नाले ओवरफ्लो होते हैं, तब-तब फाइलों में करोड़ों खर्च दिखा दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थितियां नहीं बदलतीं। उन्होंने नाला सफाई की तीसरी पार्टी द्वारा जांच कराने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।
फिलहाल निगम प्रशासन का कहना है कि नए सिरे से सभी नालों का निरीक्षण किया जा रहा है और जहां जरूरत होगी, वहां तुरंत सफाई कराई जाएगी।
