Bikaner के श्री चिंतामणि जैन मंदिर की अति प्राचीन मूर्तियों की पुस्तक का विमोचन
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर के श्री चिंतामणि जैन मंदिर के गर्भगृह में स्थित ग्यारहवीं सदी की अति प्राचीन जैन प्रतिमाओं की पुस्तक बीकानेर की अनमोल विरासत (भूगर्भ स्थित सहस्त्राधिक जिन प्रतिमाओं के चित्र एवं परिचय) का लोकार्पण सूरत में गच्छाधिपति गुरुदेव मणिप्रभ सूरीश्वरी के सान्निध्य में किया गया। श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास की ओर से प्रकाशित पुस्तक का अनुवाद आर्य मेहुलप्रभ सागर गणी ने किया है। चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि पुस्तक के विमोचन पर बीकानेर के जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, खरतरगच्छ युवा परिषद, महिला परिषद पदाधिकारी, सदस्य ज्ञान वाटिका के बच्चे तथा देश के विभिन्न इलाकों से आए जैन समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।
धारीवाल ने बताया कि 400 से अधिक वर्ष पूर्व सिरोही क्षेत्र में लूटी गई इन प्रतिमाओं को स्वर्ण प्राप्त करने के लिए गलाने के लिए रखी गई थी। तत्कालीन अकबर बादशाह के दरबार से बीकानेर के गौरव दीवान कर्मचंद बच्छावत ने इन प्रतिमाओं के बदले में अनेक भेंट समर्पित कर जिन प्रतिमाओं का अधिकार प्राप्त कर बीकानेर लाए थे। बीकानेर में चिंतामणि जैन मंदिर के भूगर्भ में सुरक्षित है।
इनको 2017 में पांच दिवसीय महोत्सव में दर्शन, पूजन और वंदन के लिए निकाला गया था। खरतरगच्छ युवा परिषद के संरक्षक राजीव खजांची ने बताया कि पुस्तक में बीकानेर के सर्वाधिक प्राचीन चिंतामणि आदिनाथ जिनालय के भूगर्भ में संरक्षित प्राचीन, अद्वितीय, पंचंधातुमय शिलालेख एवं उनका अनुवाद बहु रंगीय आर्ट पेपर पर प्रकाशित किया गया है। इसके प्रकाशन में श्रीजिन हरि विहार समिति पालीतणा तथा खरतरगच्छ संघ ब्यावर ने अर्थ सहयोग प्रदान किया। पुस्तक लोकार्पण समारोह में संघवी तेजराज गुलेच्छा, संघवी विजय राज डोसी, प्रकाशचंद्र सुराणा, चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के सदस्य इंजीनियर अशोक पारख, विपुल नाहटा, खरतरगच्छ युवा परिषद अध्यक्ष अनिल सुराणा, मनीषा खजांची, सचिव विक्रम भुगड़ी आदि मौजूद थे।