Bikaner शिक्षक दिवस विशेष, कोच विक्रम सिंह अपनी कमाई का आधा हिस्सा गांव की बेटियों पर खर्च कर रहे
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, शिक्षक दिवस पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकाें का सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर तीन शिक्षकाें के याेगदान काे आपके सामने लाया है, जिन्हाेंने अपनी मेहनत से विद्यार्थियाें के जीवन में शिक्षा के रंग भर दिए। इनमें से शिक्षक हुकमचंद चाैधरी गुरुवार काे राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में सम्मानित हाेंगे। सुनीता गुलाटी काे 2022 में यह सम्मान मिल चुका है। ढिंगसरी की महिला फुटबाॅल टीम का नाम जिले के हर बच्चे की जुबां पर है। काेच विक्रम सिंह अपनी आधी से ज्यादा कमाई उनके विकास पर खर्च कर देते हैं।
काेच की मेहनत ने बदली गांव की साेच
ढिंगसरी की बेटियाें काे फुटबाॅल खेल इतना भाया कि आज 44 लड़कियां नेशनल चैम्पियन हैं। गांव की 15 लड़कियाें का एडमिशन काेटा की गर्ल्स फुटबाॅल एकेडमी में हुआ है। इसका श्रेय जाता है उनके काेच विक्रम सिंह राजवी काे। फुटबाॅलर विक्रम सिंह गांव की बेटियाें काे फुटबाल खिलाने का जुनून सवार हुआ।
2020 से रेत के धाेराें पर लड़कियाें काे फुटबाॅल खिलाने लगे। तब लड़कियां सलवार कुर्ते में खेलने आती थीं। निक्कर, टी शर्ट पहनने की इजाजत घर वालाें ने नहीं दी। विक्रम सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। एक बार काेटा गर्ल्स एकेडमी की छात्राएं बीकानेर खेलने आईं ताे विक्रम सिंह के आग्रह पर ढिंगसरी की छात्राओं के साथ फ्रेंडली मैच खेलने काे राजी हाे गईं।
इस मैच में हालांकि ढिंगसरी की छात्राएं हार गई, लेकिन काेटा की लड़कियाें काे गांव वालाें ने किट में खेलते देखा ताे उनका मन बदल गया। गांव की संजू राजवी इंडियां कैंप तक पहुंची। मुन्नी भांभू ने सेफ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता। रेलकर्मी विक्रम सिंह अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा गांव की बेटियाें पर खर्च कर रहे हैं।
आसान तरीकों से गणित सिखा रहे हुकमचंद
डिजिटल गुरु के नाम से प्रसिद्ध शिक्षक हुकमचंद चौधरी को शिक्षक दिवस पर गुरुवार काे नई दिल्ली में नेशनल अवार्ड से नवाजा जाएगा। यह अवार्ड उन्हें शिक्षा में नवाचार के लिए दिया जाएगा। आईसीटी के साथ कक्षा में इंटरेक्टिव टेक्नोलॉजी का उपयोग, व्यक्तिगत अनुकूलन के लिए एडेप्टिव लर्निंग टूल्स, और छात्रों की सहभागिता बढ़ाने के लिए मल्टीमीडिया का उपयोग किया। बच्चे कबाड़ से जुगाड़ कर साइंस के प्राेजेक्ट तैयार कर रहे हैं। हाजिरी के साथ गणित की पढ़ाई करा रहे, जिससे बच्चाें में रुचि बनी रहे। जैसे, राेल नंबर के साथ पांच जाेड़कर बाेलना। हुकमचंद बताते हैं कि पढ़ाई छाेड़ चुके बच्चाें काे ओपन बाेर्ड से पढ़ा रहे हैं।
झुग्गियाें में 250 लर्निंग किट बांटें। उन्हीं बच्चाें काे दिए, जाे स्कूल नहीं जाते। उन्होंने बताया कि माेबाइल एप स्माइल डिजिटल लर्निंग बनाया। एनसीईआरटी के मेले में यह प्रथम आया था। एप में ऑटाे रेस्पॉन्स सिस्टम लाया था। माेबाइल नंबर से कनेक्ट कर दिया। डेट लिखकर माेबाइल करने पर कंटेंट बच्चाें के माेबाइल पर चला जाता था। बच्चे किसी भी तारीख का कंटेंट प्राप्त कर सकते थे।
गुलाटी मैम ने असंभव को संभव कर दिखाया
राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल बधिर के बच्चे भी अब विज्ञान मेले में पुरस्कार जीतकर अपने परिवार, स्कूल और शिक्षक का नाम राेशन कर रहे हैं। विज्ञान मेले में सात साल में 18 दिव्यांग विद्यार्थियों ने राज्य स्तर पुरस्कार जीते। इन्हाेंने रैन वाटर हार्वेस्टिंग, व्हील चैयर, ब्लाइंड बच्चाें के लिए स्टिक, राेड सेफ्टी सिस्टम सहित काफी प्राेजेक्ट बनाए हैं। इसी प्रकार 50 ने जिला स्तर पर पदक प्राप्त किए हैं। वही चार दिव्यांग विद्यार्थी इंस्पायर अवार्ड के लिए भी नोमिनेट हो चुके हैं। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी पर रविंद्र रंगमंच पर मूकबधिर बच्चे नृत्य का प्रदर्शन भी करते हैं।
उन्हें सुनाई नहीं देता, इसलिए टीचर काे नाचता देख उनके जैसे एक्शन कर लाेगाें काे दिल जीत लेते हैं। इसी मेहनत का श्रेय जाता है स्कूल की सेकंड ग्रेड टीचर सुनीता गुलाटी काे। मूकबधिर बच्चाें काे इस काबिल बनाने के लिए गुलाटी काे 2022 में राष्ट्रपति की ओर से नेशनल टीचर अवार्ड से नवाजा गया था। गुलाटी ने बताया कि दृष्टिहीन बच्चाें के लिए उन्हाेंने ऑडियाे कंटेंट तैयार किया, जाे दूरदर्शन पर प्रधानमंत्री के ई विद्या चैनल प्रतिदिन प्रसारित किया जाता है।