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Bikaner न शेरवानी, न बैंड-बाजा, न बग्घी-घोड़े, अनोखा संदेश देती ये शादियां

 
Bikaner न शेरवानी, न बैंड-बाजा, न बग्घी-घोड़े, अनोखा संदेश देती ये शादियां
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर ऐसी बारात जिसमें न बैंड है, न घोड़ी, डीजे न रथ। दूल्हा भी बिना गाड़ी-घोड़े के पैदल ही अपने ससुराल विवाह संस्कार के लिए जा रहा है। ऐसी बारातें और दूल्हों का नजारा देखने को मिलता है बीकानेर में होने वाले पुष्करणा समाज के सामूहिक विवाह समारोह में। प्रत्येक दो वर्ष के बाद होने वाला पुष्करणा सावा इस बार 18 फरवरी को होगा। बड़ी संख्या में दूल्हे पैदल ही विष्णुरूप में विवाह संस्कार के लिए अपने ससुराल जाएंगे। सावे के दिन परकोटा क्षेत्र की हर गली, मोहल्ले, चौक-चौराहों से ऐसी बारातों के निकलने का क्रम जारी रहेगा, जिनमें दूल्हे और बाराती शंख ध्वनि, झालर की झंकार के साथ पारंपरिक मांगलिक गीतों का गायन करते हुए शामिल होंगे। विष्णुरूपी दूल्हों की बारात में दूल्हा खिड़किया पाग, बनियान और पीतांबर धारण किए व पैदल ही शामिल होगा। सड़कों पर तू मत डरपे हो लाडला गीत की गूंज रहेगी।

शादियां अधिक, बाराती कम

पुष्करणा सावे के दिन बड़ी संख्या में विवाह संस्कार संपन्न होते हैं। एक ही घर, परिवार, गली, मोहल्ले, सगे-संबंधियों के यहां कई शादियां होने से बारातियों की संख्या भी काफी कम रहती है। सावे के दिन दूल्हों को भी बारातियों का इंतजार करना पड़ता है। एक ही घर, परिवार में कई शादियां होने से घर-परिवार के सदस्य भी बाराती के रूप में शामिल नहीं हो पाते हैं। दूल्हों के मित्र, परिचित व मोहल्ले के कुछ लोग ही बाराती के रूप में शामिल हो पाते हैं।

मितव्ययिता व सादगी

पुष्करणा समाज का शताब्दियों पहले प्रारंभ हुआ सावा आज भी कम खर्च में अधिक शादियों के लिए प्रसिद्ध है। घर, परिवार, गली, मोहल्ले और शहर में एक दिन, एक मुहूर्त में सैकड़ों की संख्या में होने वाली शादियां कम खर्च में अधिक शादियों के उद्देश्य की पूर्ति कर रहा है। सावे के दिन न बैंड की जरूरत, न घोड़ी, रथ, डीजे की। लाखों रुपए खर्च कर भवनों-लॉन की भी जरूरत नहीं। घर-घर में शादियां और गली-मोहल्लों में ही टेंट लगाकर बारातियों का स्वागत इस सावे की विशेषता है।सूट-बूट और शेरवानी पहने दूल्हा हर विवाह कार्यक्रम में आमतौर पर दिखता है। पुष्करणा सावा के दिन इसके विपरीत खिड़किया पाग, बनियान और पीतांबर धारण किए विष्णुरूपी दूल्हा अपनी मनमोहक छवि के कारण हर किसी को आकर्षित करता है। इस दौरान कई दूल्हे भगवान कृष्ण का रूप भी धारण कर विवाह संस्कार के लिए अपने ससुराल जाते हैं।