Bikaner एक साल पहले आई बाढ़ के दंश अब तक बरकरार
बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर मगरा क्षेत्र में जब लगातार कई दिनों तक पानी बरसता है तो पानी नदी का रूप लेता हुआ रेत के धोरों को चीरता हुआ 40-50 किलोमीटर दूर बज्जू तक पहुँच जाता है और तबाही का रूप ले लेता है। सुनने व कहने में बड़ा अजीब लगता होगा कि रेत के धोरों में बाढ़ का प्रकोप,मगर यह हकीकत है और जुलाई 2000 के बाद पिछले वर्ष आज ही के दिन 29 जुलाई 2023 को रेत के धोरों को चीरता हुआ पानी बज्जू तेजपुरा तक नदी के रूप में पहुँच गया था। हालांकि इसबार क्षेत्र में अच्छी बरसात नही होने से किसान फसलों की तबाह होने को लेकर रोना रो रहे है तो पिछले साल आज ही के दिन सैंकड़ों किसानों के खेतों में फसल बर्बाद हो गई थी, दर्जनों किसानों की ढाणी, कच्चे मकान जलमग्न हो गए थे। सन 2000 और पिछले वर्ष 2023 नदी से तबाही का मंजर आज भी लोगों लो याद आ रहा है तो रूह कांपने लग जाती है।
मुआवजा का एक पैसा तक नहीं मिला
आज ही के दिन वर्ष 2023 में आई बरसाती बाढ़ से बज्जू तेजपुरा, ग्रान्धी,बिठनोख,गिराजसर के सैंकड़ों किसानों की फसल खेतों में आंखों के सामने बर्बाद हो गई थी,नदी का पानी इस कदर चला कि फसलो पर कई दिनों तक पानी बाद में कई दिनों तक मिट्टी जमा हो गई थी। आधा दर्जन गांवो के सैंकड़ों किसानों की बरानी व नहरी फसल नदी में बह गई। दर्जनों कच्चे मकान बह गए थे। बाढ़ से सड़कें तक बह गई थी, मगर शासन व प्रशासन से आजतक एक भी पीड़ित किसान को एक भी रुपया मुआवजा देना उचित नही समझा । किसानों ने बताया कि कुछ दिनों तक तो गिरदावर से लेकर पटवारी खेतों में सर्वे के लिए भटके, जिसके बाद तहसील कार्यालय में दर्जनों बार जाकर पता करने पर भी कोई सकारात्मक जवाब नही मिला। आज भी मुआवजे का सिर्फ इंतजार है।
घर छोड़ धोरों पर लेनी पड़ी थी शरण
बरसाती पानी की नदी ने उपखंड के ग्राम ग्रान्धी के आधे घरों को चपेट में ले लिया था जिसके चलते लोगों को घर छोड़कर राजकीय भवनों व रेत के धोरों पर शरण लेनी पड़ी थी तो बज्जू तेजपुरा के दर्जनों घरों के साथ ग्राम पंचायत, राजकीय स्कूल को पूरी तरह आगोश में ले लिया था। बरसात बंद होने के कारण नदी के पानी मे वेग कम हो गया और पूरे इलाके के लोगों ने राहत की स्वास ली थी।
प्रशासन समय रहते करें प्रयास
ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के रोकथाम के लिए शासन से लेकर प्रशासन को समय रहते कारगर उपाय करने होंगे,अन्यथा भविष्य में विनाश होना तय है। रेत के धोरों को चीरता पानी बज्जू तक पहुँच जाता है उससे पहले ही रोकने के लिए सरकार को बड़ा बजट लगाकर बांध,तालाब आदि प्रयास करने होंगे जो ताकि पानी बज्जू,तेजपुरा,ग्रान्धी में नुकसान ना पहुँचा सके। सबसे मजेदार बात यह है कि पिछली बाढ़ में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बस मौका देखकर इतिश्री कर ली थी उसके बाद कोई योजना नही बनी,जिसके चलते भविष्य में होने वाली बाढ़ की घटना को लेकर क्षेत्र के ग्रामीण चिंतित है।