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Bikaner बूंद-बूंद सिंचाई से खूब फली-फूली सौंफ की खेती, किसानों में ख़ुशी

 
Bikaner  बूंद-बूंद सिंचाई से खूब फली-फूली सौंफ की खेती, किसानों में ख़ुशी 

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, भूमिगत खारे पानी (लवणीय जल) में भी बीकानेर और आसपास के नागौर, चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर जिले में सौंफ की खेती की राह खुल गई है। किसान इन जिलों में बंजर पड़ी भूमि पर खारे पानी से बूंद-बूंद सिंचाई कर खेती कर सकेंगे। तीन साल तक कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में चले अनुसंधान में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अनुसंधान में सौंफ की किस्म आरएफ-290 से प्रति हैक्टेयर 9 क्विंटल उत्पादन मिला है। इसने भविष्य में इन जिलों के सौंफ उत्पादन हब बनने की उमीद भी जगा दी है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कृषि अनुसंधान केन्द्र में तीन साल चली रिसर्च के परिणाम वैज्ञानिकों ने जारी किए हैं। कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ‘लवण ग्रस्त मृदाओं का प्रबंधन एवं खारे जल का कृषि में उपयोग’ के तहत ड्रिप सिंचाई पद्धति से लवणीय सिंचाई जल का सौंफ की विभिन्न किस्मों की वृद्धि एवं उपज पर अनुसंधान किया गया। इसके परिणाम बेहद सकारात्मक आए हैं। इससे प्रदेश के मसाला उत्पादक किसानों को लाभ होने के साथ ही भविष्य में सौंफ का क्षेत्रफल एवं उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राजस्थान-गुजरात में 96 फीसदी उत्पादन

देश में राजस्थान और गुजरात प्रमुख सौंफ उत्पादक राज्य हैं। देश में सौंफ उत्पादन में 96 फीसदी योगदान दे रहे हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा सौंफ नागौर जिले में करीब 10 हजार हैक्टेयर में होती है। सिरोही, जोधपुर, जालौर, जैसलमेर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और बीकानेर जिले में भी सौंफ की खेती की जाती है। चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर जिले में सिंचाई पानी नहीं होने और भूमिगत जल खारा होने से लोग खेती नहीं कर पाते।

यह बोले अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक

कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एसआर यादव ने कहा कि किसानों का मसाला फसलों की तरफ आकर्षण बढ़ रहा है। ऐसे में लवणीय जल में सौंफ की खेती को लेकर अनुसंधान में मिली सफलता मददगार साबित हो सकती है। प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि सौंफ की किस्म आरएफ 290 में विद्युत चालकता (ईसी) 4 डेसी/मीटर तक के पानी को उपयोग में लेकर उत्पादन किया जा सकता है।