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Bikaner धन्वंतरि जयंती आज, जिले में 107 साल से चल रही है मोहता आयुर्वेद प्रयोगशाला

 
Bikaner धन्वंतरि जयंती आज, जिले में 107 साल से चल रही है मोहता आयुर्वेद प्रयोगशाला

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, आज धन्वंतरि जयंती है। आज हम आपको बताते हैं बीकानेर के सबसे आयुर्वेद औषधालय और रसायनशाला के बारे में। हम बात कर रहे हैं स्टेशन रोड स्थित मोहता आयुर्वेद रसायनशाला की। इस आयुर्वेद रसायनशाला की स्थापना 107 साल पहले यानी 1917 में हुई। आज इस रसायनशाला में 511 आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण हो रहा है जिसमें 400 के करीब दवाएं लगातार बन रही है। इनमें से 200 औषधियों का रोजाना इस्तेमाल होता है।रसायनशाला की करीब 90 आयुर्वेदिक दवाएं ऐसी हैं जिनका पेटेंट हो रखा है। मोहता रसायनशाला में निर्मित दवाएं तीन राज्यों के लोग अपने स्वास्थ्य लाभ के ​लिए ले रहे हैं। बीकानेर में बनने वाली ये दवाएं पूरे राजस्थान के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में भी जाती हैं। तीनों ही राज्य में आयुर्वेद की दवाओं के काउंटर हैं जहां इनके मेडिकल रिप्रजेंटेटिव आगे माल सप्लाई करते हैं। मोहता रसायनशाला का शुगर, लीवर, किडनी सहित 90 दवाओं का पटेंट भी करवा रखा है।रसायनशाला की जया रामपुरिया ने बताया कि हमारे यहां 40 से अधिक दवाओं में सोने और 35 से अ​धिक दवाओं में चांदी जैसे धातुओं के मि​श्रण से दवाओं का निर्माण होता है। इसके अलावा हमारा रसायनशाला के पास ही औषधालय भी है जहां रोजाना करीब 150 लोग अपने रोगों का इलाज करवाते हैं। औषधालय में सभी औषधियां निशुल्क ही दी जाती हैं। इतना ही नहीं यहां पर पंचकर्म और फिजियोथेरेपी की सेवाएं भी दी जाती है। इसके अलावा शहर में पांच जगहों पर ऐसे ही औषधालय चल रहे हैं।

शहर में 6 जगहों पर हैं मोहता औषधालय के निशुल्क केंद्र

मोहता औषधालय की ओर से शहर में छह जगहों पर निशुल्क औषधालय संचालित हो रहे हैं। यहां 5 दिन की औषधियां निशुल्क दी जाती हैं। स्टेशन रोड पर स्थित मोह​ता रसायनशाला औषधालय के अलावा मोहता चौक, जेएनवी के शिव मंदिर में आयुर्वेदिक औषधालय, आर्मी एरिया, बीएसएफ, बंगलानगर में भी आयुर्वेदिक औषधालय संचालित किए जाते हैं। मोहता चौक में तो एक दंत चिकित्सालय भी है।

यहां का च्यवनप्राश देश भर में जाता है

मोहता रसायनशाला का आयुर्वेद च्यवनप्राश की सप्लाई देश में कई जगहों पर होती है। यहां 3 तरह के च्यवनप्राश बनते हैं। सब के दो-दो-तीन किस्में होती हैं। साधारण, स्पेशल और जीवन ज्योति। यहां बनने वाले जीवन ज्योति च्यवनप्राश में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए चांदी की भस्म मिलाई जाती है। इसके अलावा कई औषधियों में सोने की भस्म भी मिलाई जाती है। तीनों ही तरह के च्यवनप्राश शुगर के रोगियों के लिए शुगर फ्री भी बनाया जाता है।

एक औषधि तैयार करने में 10 दिन से 30 दिन तक का लगता है समय

आयुर्वेदिक औषधियों में अर्क और आसव अनिष्ठा को तैयार करने में एक महीने तक ही समय लगता है। इसको तैयार करने के लिए औषधियों को एक महीने तक मिट्टी के घड़ों में पकाया जाता है। फिर जमीन में दबा कर रखा जाता है। इसके अलावा आयुर्वेद औषधियों के टेबलेट, चूरण, आंवला, तेल, घृत, भस्म सहित च्यवनप्राश सहित 15 तरह की औषधियों तैयार होती है। पहले इन्हें पत्थर और मिट्टी के मटकों में तैयार किया जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों से चाइना से मंगवाई गई मशीनों से काम किया जा रहा है।

 समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे धन्वंतरि

पुराणों में स्वस्थ शरीर को बड़ा धन माना गया है। असाध्य रोगों से मुक्ति ही ऐश्वर्य की प्राप्ति के द्वार खोलती है। यही कारण है कि धन तेरस पर सुबह स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन से 14 र| बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी थी. इसलिए धनतेरस के दिन उनकी पूजा की जाती है। इसी दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देव कुबेर को भी पूजा जाता है।

नाड़ी तरंगिणी यंत्र से शरीर में जांचते हैं वात, पित्त और कितना है कफ

मोहता औषधशाला में शरीर के वात, पित्त और कफ की स्थिति के बारे में भी पता लगाया जाता है। महज तीन मिनटों में यह पता लग जाता है कि शरीर में वात है, पित्त और कफ की स्थिति क्या है। यह जांच नाड़ी त​ंरगिणी मशीन से महज तीन मिनटों में ही हो जाती है।शास्त्रीय ग्रंथों के अनुसार नाड़ी के गुण और दोषों की ​परीक्षा इस मशीन के द्वारा किया जाता है। इस मशीन से नाड़ी साम-विराम यानी शरीर में टॉक्सिन लेवल कितना है। नाड़ी का बल यानी शरीर का इम्युन सिस्टम कैसे काम कर रहा है। पित्ताग्नि यानी पाचन क्रिया सामान्य है या नहीं। तनाव और 15 अन्य बीमारियों का पता लगा सकते हैं। इस मशीन से हुई जांच का इस्तेमाल एलोपैथी डॉक्टर भी करते हैं।