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Bikaner बीछवाल से पवनपुरी तक पानी साफ, गुणवत्ता में गिरावट

 
Bikaner बीछवाल से पवनपुरी तक पानी साफ, गुणवत्ता में गिरावट

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर शहर में पानी में आ रही गंदगी को लेकर आई खबर के बाद पीएचईडी विभाग ने बीछवाल जलाशय से लेकर पवनपुरी तक अलग-अलग जगह 25 सैंपल लिए। इनमें 5 घरों में पानी सफाई के सबसे निचले पायदान पर पाया गया। भास्कर के पास बुधवार को लिए गए एक-एक सैंपल की जांच रिपोर्ट है। अधिकारियों ने निचले पायदान पर पाए गए पानी को भी खराब नहीं बताया जबकि इसी क्षेत्र में लोगों में पेट दर्द की शिकायतें मंगलवार को आई थीं। दरअसल कई दिनों से बीकानेर पूर्व क्षेत्र में सीवरेज उफन रही है। ज्यादातर पानी की लाइनें इन दिनों सीवरेज के बीच से ही होकर गुजर रही हैं। कुछ जगह सीवरेज के सबसे निचले हिस्से में तो कहीं ऊपरी हिस्से में लेकिन जब सीवरेज उफान मानती है तो पानी की लाइन में हल्का लीकेज होने पर भी सीवरेज का गंदा पानी लोगों के घरों में चला जाता है।

बीते एक महीने से पूरे शहर में सीवरेज सफाई का सिस्टम पूरी तरह फेल है। निगम की मशीनें शिकायतों पर निस्तारण की रिपोर्ट तो देती हैं लेकिन जमीनी हकीकत देखने की किसी अधिकारी को फुर्सत नहीं। एक्सईएन से लेकर जेईएन-एईएन फील्ड में हकीकत देखने जाते नहीं इसलिए जो फर्म ने रिपोर्ट दी उसे मान लिया गया। ऊपर से बीते दिनों बारिश हुई तो सीवरेज इस कदर उफनी कि गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया। बुधवार को भास्कर ने इस मुद्दे को उठाया तो जयपुर तक मामला पहुंचा। पूछताछ शुरू हुई तो पीएचईडी ने अपनी टीमें जांच के लिए उतारीं। बीछवाल जलाशय ये लेकर पवनपुरी तक करीब 25 अलग-अलग सैंपल लिए गए। सुबह से ही टीमें पहुंच गई। लोगों ने खुद अपने घरों से पानी के सैंपल दिए। दोपहर बाद सैंपलों की रिपोर्ट उजागर हुई। भास्कर ने भी उसकी एक कॉपी ली आैर पाया कि बुधवार के पानी में भी करीब पांच घरों में पानी सफाई के सबसे निचले पायदान पर रहा। साफ पानी की गुणवत्ता की सबसे निचली कैटेगरी 0.2 पीपीएम यानी पार्ट पर मिलियन है आैर पांच घरों में 0.2 पीपीएम पानी की गुणवत्ता पाई गई। यानी कहीं ना कही कुछ गड़बड़ है जबकि बीछवाल से पवनपुरी हेड सेंटर तक पानी साफ पहुंचा।

प्लांट से चला साफ पानी, गलियों तक पहुंचकर हुआ गंदला

पवनपुरी से लिए गए सैंपल की रिपोर्ट से साफ हो रहा कि पानी बीछवाल फिल्टर प्लांट से साफ होकर छोड़ा गया। वहां की पीपीएम 1.8 थी। पवनपुरी हेड वर्क्स तक उसकी गुणवत्ता 1.0 रही। यानी यहां भी पानी पूरी तरह साफ रहा। मगर पवनपुरी के जिस इलाके से पेट दर्द की शिकायतों के ज्यादा मरीज पाए गए वहां पानी की गुणवत्ता साफ पानी के सबसे निचले पायदान पर थी। यानी यहां पांच घरों में 0.2 पीपीएम था। हालांकि 0.2 पीपीएम भी खराब नहीं है। ये पानी उपयोग करने लायक है मगर 1.8 पीपीएम से रवाना हुआ पानी लोगों के घरों तक 0.2 पीपीएम रहा तो इससे साफ है कि कहीं ना कहीं रास्ते में पानी गंदा पानी की मिलावट हो रही है। अगर 0.2 पीपीएम से पानी का स्तर गिरता है तेा वो पानी शरीर को नुकसान करेगा।

आखिर क्वालिटी गिरी कैसे

अगर पानी फिल्टर प्लांट से साफ पानी सप्लाई किया गया तो घरों में पहुंचने वाले पानी की क्वालिटी गिरी कैसे यह तो जांच का विषय है। पीएचईडी को अपनी पाइप लाइन जांचनी होगी तो लोगों को भी घरों में आ रहे पाइप को देखना होगा कि कहीं किसी नाली से होकर तो नहीं गुजर रहा। पीएचईडी को भी सीवरेज की लाइन से चेक कराना होगा कि पानी की क्वालिटी कहां से डाउन हो रही है। लोगों का कहना है कि जब बारिश होती है तो नाले तो नाले सड़कों पर भी कई जगहों पर गंदा पानी भर जाता है। पानी की सप्लाई बंद होते ही गंदा पानी पाइप लाइन में आ जाता है। सप्लाई होते ही पहले गंदा पानी घरों में आता है।