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Bikaner चाइनीज मांझे की चपेट में आये दस कबूतर और एक हिरण, रेस्क्यू सेंटर में भर्ती

 
Bikaner चाइनीज मांझे की चपेट में आये दस कबूतर और एक हिरण, रेस्क्यू सेंटर में भर्ती

बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर चाइनीज मांझे ने आमजन के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षियों को भी घाव दिया है। आखातीज के दिन करीब 250 लोगों की गर्दन, हाथ, पांव और टांगों पर गहरे घाव हुए थे, वहीं मांझे की चपेट में आने से 500 से ज्यादा पशु-पक्षी घायल हो गए थे। वन विभाग के रेस्क्यू सेंटर में अभी भी कबूतर, हिरण, कुरजां तथा भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानी इलाकों में पाए जाने वाले आइबिस पक्षी रेड-नेप्ड का इलाज चल रहा है। इनमें से हिरण की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है, जबकि आइबिस पक्षी और कुछ कबूतरों की स्थिति नाजुक बनी हुई है। कुछ पक्षियों के दर्द के कारण खाना-पीना भी छोड़ दिया है। हालांकि वन विभाग के अधीन कार्यरत डॉक्टरों की टीम लगातार पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए है।

हिरण के पांव में गहरा जख्म, पक्षियों के पंख कटे रेस्क्यू सेंटर के प्रभारी सीताराम स्वामी ने बताया कि चाइनीज मांझे की चपेट में आने से रेस्क्यू सेंटर में आवासित एक हिरण की टांग पर गहरा जख्म हो गया। उसका घाव भरने के लिए डॉक्टर को पांच टांके लगाने पड़े। वहीं अधिकांश कबूतरों के पंख मांझे से जख्मी हुए हैं। फिलहाल जख्मी पक्षी उड़ने और चलने-फिरने में असमर्थ है। डॉक्टरों की मदद से इन्हें दवाइयों के रूप में आहार दिया जा रहा है। रेस्क्यू प्रभारी स्वामी ने बताया कि आखातीज के दिन सैकड़ों पक्षी घायल हुए थे।

पशु-पक्षियों से प्रेम करने वाले लोग घायल पक्षियों के रेस्क्यू सेंटर लेकर आए थे, जिनका प्राथमिक उपचार कर उन्हें खुले आसमान में छोड़ दिया गया। लेकिन गंभीर रूप से घायल पक्षियों को रेस्क्यू सेंटर में उपचार के लिए भर्ती कर लिया। स्वामी ने बताया कि फिलहाल रेस्क्यू सेंटर में दस कबूतर, एक हिरण, तीन बाज, कुरजां, बगुला तथा आइबिस पक्षी रेड-नेप्ड सरीखे सुंदर पशु-पक्षियों का इलाज चल रहा है। दर्द से कराहते देखा नहीं गया, पानी की टंकियां भेंट कीं घायल कबूतर और अन्य पक्षियों को रेस्क्यू सेंटर लेकर पहुंचे वाणिज्यिक कर विभाग के कार्मिक दीपेश अग्रवाल ने रेस्क्यू सेंटर में पशु-पक्षियों के लिए दस पानी की टंकियां भेंट की है। अग्रवाल ने बताया कि घायल पशु-पक्षी रेस्क्यू सेंटर में इलाज के दौरान कराह रहे थे, उनकी आंखों में दर्द के आंसू थे। घायल पशु-पक्षियों की मदद के लिए छोटी पानी की दस टंकियां उपलब्ध करवाई है, ताकि उन्हें पानी पीने के लिए तकलीफ का सामना नहीं करना पड़े।