Bikaner भेड़ की एक और नस्ल को मिली मान्यता, अब प्रदेश में 9 नस्लें

नस्ल की मान्यता के लिए यहां पंजीकरण
केन्द्रीय भेड़ असुसंधान केन्द्र अविका नगर के निदेशक डॉ. अरुण कुमार तोमर के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक डॉ. रणजीत गोदारा एवं डॉ. सतवीर डांगी ने इस नस्ल की मान्यता के लिए रिपोर्ट तैयार की। इसमें एक-एक बिन्दु को स्पष्ट कर राष्ट्रीय पशु अनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो करनाल में रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण कर नस्ल का पंजीयन करमान्यता प्रदान की।
पशुओं की दस नस्लों को मिली मान्यता
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप निदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेन्द्र भट्टा की अध्यक्षता में नस्ल पंजीकरण समिति की 12वीं बैठक 6 जनवरी को दिल्ली में हुई। इसमें विभिन्न पशुओं की 10 नस्लों को मान्यता दी गई।इसमें राजस्थान की खेरी नस्ल को भेड़ों की 9वीं नस्ल के रूप में मान्यता दी।
माइग्रेशन से पनपीनई नस्ल
राजस्थान के भेड़ पालक अपने मवेशियों को लेकर माइग्रेशन पर मध्यप्रदेश एवं गुजरात ले जाते हैं। वहां के मेढ़ों से यहां की भेड़ों का क्रॉश कराने के बाद दोनों नस्लों से मिलते-जुलते गुणों वाली संतान पैदा हुई। इसे खेरी नस्ल का नाम दिया गया। यह रेवड़ में तीस सालों से चर रही थी लेकिन, वैज्ञानिक मान्यता अब मिली।
इन इलाकों में बहुतायत
खेरी नस्ल मुय रूप से प्रदेश में टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, नागौर, पाली, बीकानेर तथा जोधपुर जिले ज्यादा देखने को मिलती है। यहां के भेड़पालक ही माइग्रेशन पर गुजरात एवं मध्यप्रदेश जाते हैं।