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सामूहिक बलात्कार और कोयला भट्टी में बेटी को जिंदा जलाने का 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मामले में दो भाइयों को मौत की सजा

 
सामूहिक बलात्कार और कोयला भट्टी में बेटी को जिंदा जलाने का 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मामले में दो भाइयों को मौत की सजा

भीलवाड़ा न्यूज़ डेस्क, राजस्थान में धधकती कोयला भट्टी में बेटी को जिंदा जलाने के देश के चर्चित मामले में साढ़े नौ माह बाद सोमवार को अहम फैसला आया। पॉक्सो कोर्ट संख्या दो ने 100 पेज के फैसले में गुनाहगार दो भाइयों को फांसी की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के दौरान कोर्ट रूम खचाखच भरा था। न्यायाधीश अनिल कुमार गुप्ता ने फैसले में इस अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का माना। उधर, सजा सुनाए जाने के बाद पीडि़ता की मां के आंखों से आंसू छलक रहे थे। मां बोली, आज मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिली। न्याय की आस में नौ माह खून के आंसू रोए हैं।

फैसला सुनाए जाने के बाद पीडि़ता के माता-पिता ने न्यायाधीश को हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया। हालांकि अभियुक्तों के परिवार के सात जनों को दोषमुक्त किए जाने पर मां का कहना था कि इनको भी सजा दिलाने की लड़ाई आगे जारी रहेगी। अदालत ने दूनी (देवली) हाल तस्वारिया निवासी कालू पुत्र रंगनाथ कालबेलिया और भाई कान्हा नाथ को फांसी की सजा सुनाई है। विशिष्ट लोक अभियोजक महावीर सिंह ने अभियुक्तों के खिलाफ 43 गवाह और 223 दस्तावेज पेश कर आरोप साबित किया। विशिष्ट लोक अभियोजक सिंह का कहना था कि दोषमुक्त किए लोगों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

रक्षक ही भक्षक बन गए

2 अगस्त-2023 को कोटड़ी थाना क्षेत्र की किशोरी खेत पर बकरियां चराने गई। वहां कालू और भाई कान्हा ने बलात्कार किया। सिर पर लाठी मारी और मुंह दबा दिया। मरा समझ खेत से उठा डेरे में ले आए। अंधेरा होने के बाद कोयला भट्टी में किशोरी को जिंदा जला दिया। दोनों अभियुक्त परिवार समेत पीड़िता के खेत के निकट डेरा डालकर रहते थे। किशोरी के परिजन दोनों पर विश्वास करते थे और कई बार बेटी की सुरक्षा उन पर छोड़कर गए। इस मामले में नौ जनों को गिरफ्तार किया था। तीन बाल अपचारी निरूद्ध हुए थे। पुलिस ने एक माह में अभियुक्तों के खिलाफ चालान पेश किया था। एफएसएल समेत कई रिपोर्टों को साक्ष्य के रूप में पेश किया गया था। अदालत ने दो दिन पूर्व मामले में सात जनों को दोषमुक्त कर दिया था। दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था। इनकी सजा पर फैसले की तारीख सोमवार मुकर्रर की गई थी।

माता-पिता को दस-दस लाख देने की अनुशंसा

अदालत ने फैसले में पीड़ित प्रतिकर स्कीम में माता-पिता को दस-दस लाख रुपए दिलाने की अनुंशसा की। फैसले में कोर्ट ने उल्लेख किया कि अभियुक्तों का यह पिशाची कृत्य है। इसके लिए मृत्यृदंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।