राजस्थान को मिली बुलेट ट्रेन की सौगात! भीलवाड़ा के 34 गांवों से गुजरेगा 86 KM लंबा ट्रैक, क्षेत्र में आएगा विकास का तूफान
नई दिल्ली और अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन भीलवाड़ा जिले के 34 गांवों से होकर गुजरेगी। इसके लिए जिले में करीब 86 किलोमीटर का ट्रैक बनाया जाएगा। इस परियोजना के तहत मंगलवार को नगर परिषद सभागार में जनसुनवाई हुई। जनसुनवाई में आए रायला, बनेड़ा और बड़ौद गांवों के लोगों ने पूछा कि उन्हें जमीन का मुआवजा कैसे मिलेगा। इसमें भीलवाड़ा जिले का कुल ट्रैक 86 किलोमीटर का होगा। इस परियोजना को शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही इसकी डीपीआर तैयार की जाएगी।
नगर परिषद सभागार में जनसुनवाई के दौरान नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के संयुक्त महाप्रबंधक मार्तंड सिंह राठौड़ ने प्रशासनिक अधिकारियों और ग्रामीणों के सामने इस परियोजना का प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि बुलेट ट्रेन की स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस परियोजना के पूरा होने पर दिल्ली से अहमदाबाद का सफर 3 घंटे में पूरा हो जाएगा। दोनों शहरों के बीच 15 स्टेशन होंगे। कुल 886 किलोमीटर लंबे ट्रैक में से लगभग 658 किलोमीटर ट्रैक राज्य के 7 जिलों अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर और डूंगरपुर से होकर गुज़रेगा। यह ट्रेन भीलवाड़ा में भी रुकेगी।
पूरा ट्रैक एलिवेटेड बनाया जाएगा
अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन संचालन में सुरक्षा संबंधी तकनीकी कारणों से पूरे ट्रैक को एलिवेटेड बनाया जाएगा। इस परियोजना के लिए पूरे ट्रैक का हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण किया गया। बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जबकि औसत गति 250 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। बुलेट ट्रेन ज़मीन से 10 से 15 मीटर ऊपर एलिवेटेड ट्रैक पर चलेगी। ट्रैक की चौड़ाई लगभग 17.5 मीटर होगी। ट्रैक खंभों पर होने के कारण ज़मीन पर जान-माल का कोई खतरा नहीं होगा और न ही लोगों की आवाजाही या किसी अन्य प्रकार की कोई समस्या होगी। एसआईए के पर्यावरण सलाहकार विमल कुमार और ईआईए के सामाजिक सलाहकार विजय कुमार ने भी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के बारे में जानकारी दी।
ये क्षेत्र होंगे प्रभावित
यह ट्रेन भीलवाड़ा जिले के पाँच तहसील क्षेत्रों के 34 गाँवों से होकर गुज़रेगी। बीच में 36 धार्मिक स्थल, 8 शिक्षण संस्थान और 3 अस्पताल आएंगे। लगभग 1600 पेड़ काटे जाएँगे। 86 किलोमीटर लंबा यह ट्रैक हुरड़ा के लाम्बा से भीलवाड़ा के ओज्याड़ा तक होगा।
ऐसे मिलेगा मुआवज़ा
राठौड़ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिग्रहित की जाने वाली ज़मीन का मुआवज़ा डीएलसी या बाज़ार दर से चार गुना दिया जाएगा। जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दोगुनी दर पर दिया जाएगा। यह मुआवज़ा एनएचआई परियोजना के तहत दिया जाएगा। इसके लिए ज़िला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी। मकान और परिसर खाली करने के लिए 30 दिन का समय होगा। समिति इस समय को बढ़ा भी सकती है।
डीएलसी और बाज़ार दर में बहुत अंतर है
रायला और बनेड़ा क्षेत्र के जेपी जाट, कृष्ण गोपाल कोगटा, मुरलीधर नेगवाडिया और रोनकनेगवाडिया ने बताया कि सरकार ने डीएलसी दर कम कर दी है। वर्तमान दर और 20 साल पहले की दर एक ही है, जबकि बाजार दर कई गुना अधिक है, ऐसे में मुआवजा किस आधार पर दिया जाएगा। पंचायतें पट्टे तो देती हैं, लेकिन उसमें आवासीय या व्यावसायिक भूखंडों का उल्लेख नहीं है, फिर मुआवजा कैसे तय होगा। गांवों में आबादी, व्यावसायिक, संस्थागत भूमि है। जनसुनवाई में आए लोगों ने कहा कि वर्तमान में काबिज स्थिति के आधार पर मुआवजा दिया जाए। इस दौरान यह प्रस्ताव भी आया कि प्रशासन जमीन के बदले जमीन देगा या पुनर्वास करेगा। नारायणपुरा के सुभाष बैरवा और पन्ना लाल बैरवा ने पिछले मुआवजा प्रकरण से जुड़ी अपने क्षेत्र की समस्या उठाई। खैराबाद के भगवत सिंह राठौड़ ने भी चारागाह भूमि का मामला उठाया। अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) डॉ. राजेश गोयल ने कहा कि मुआवजे के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। कोरोना के कारण डीएलसी दर कम की गई थी। जनसुनवाई में नगर परिषद सभापति राकेश पाठक, तहसीलदार सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे। ट्रेन इन 34 गांवों से होकर गुजरेगी
लांबा, तस्वारिया, रूपाहेली, हरिपुरा, नागजी का खेड़ा, गारोलिया खेड़ा, कंवलियास, सनोदिया, भवानीपुरा, लार्डिया खेड़ा, धुवालिया, रायला, रानीखेड़ा, साखरिया खेड़ा, बैरा, नानकपुरा, भांडकी बावड़ी, नीम का खेड़ा, माली खेड़ा, मांडल, कीरखेड़ा, बिलियाखेड़ा (रामनगर), मेजा, धूलखेड़ा, सुरास। मालोला, पांसल, पुर, बोरदा, नाथडियास, खैराबाद, कन्याखेड़ी, सगतपुरिया और ओज्याड़ा
भीलवाड़ा जिले में बुलेट ट्रेन पर एक नज़र
यह हुरड़ा, बनेड़ा, मांडल, भीलवाड़ा और हमीरगढ़ तहसीलों से होकर गुज़रेगी
जिले में प्रभावित गाँव- 34
जिले में कुल लंबाई- 85.57 किमी
आवश्यक भूमि- 161.045 हेक्टेयर (1827 भूखंड)
आवश्यक निजी भूमि- 100.820 हेक्टेयर (1353 निजी भूखंड)
सरकारी भूमि- 60.224 हेक्टेयर (474 सरकारी भूखंड)
