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किसानों की बढ़ी चिंता, कपास पर मंडरा रहा पिंक बॉलवर्म का खतरा, जानें बचाव के तरीके

 
किसानों की बढ़ी चिंता, कपास पर मंडरा रहा पिंक बॉलवर्म का खतरा, जानें बचाव के तरीके

भीलवाड़ा न्यूज़ डेस्क, भीलवाड़ा जिले में कपास में गुलाबी सुंडी रोग शुरू हो गया। अचानक से गुलाबी सुंडी के हमले से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई है। इस बार करीब 40 हजार हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई है। गुलाबी सुंडी की सूचना पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने खेतों में जाकर निरीक्षण किया। किसानों ने बताया कि कपास में शुरुआती दौर में गुलाबी सुंडी का हमला शुरू हो गया। अभी पकने में काफी समय बाकी है। किसानों का कहना है कि कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप कपास के टिंडे बनते समय देखा जाता है लेकिन शुरुआती दौर में ही किसानों की चिंता बढा दी। कृषि विभाग ने इस कीड़े से निजात पाने के लिए पूरी तैयारी की है।

बीटी कपास के आस-पास बनेठियों के ढेर नहीं लगाएं

कृषि विभाग के उपनिदेशक कृषि एवं परियोजना निदेशक आत्मा डॉ. शंकर सिंह राठौड़ ने बताया कि जिला स्तर पर संयुक्त निदेशक कृषि कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। पर्यवेक्षक व अधिकारियों को कीड़े से निपटने के लिए बुवाई से अंत तक किसानों को क्या करना, क्या नहीं करना इसकी कार्ययोजना बना बताया जाएगा। किसान जो कपास की बुवाई कर रहे हैं और उस फसल में कीड़ा नहीं आए, इसलिए खेत पर रखी बनेटियां झाड़कर अधपके टिंडों को नष्ट कर दें। ताकि अगली फसल में प्रसार नहीं हो। बीटी कपास के आसपास बनेठियों के ढेर नहीं लगाएं।

गुलाबी सुंडी से प्रभावित फसल अवशेषों को कर दें नष्ट

गुलाबी सुंडी से प्रभावित फसल अवशेषों को नष्ट कर दें और कपास फैक्ट्री या जिनिंग मिल है उसके वहां जो अवशेष है उसे भी नष्ट कर दें। कपास की फसल लगाने के 60 दिन पर नीम सीड करनाल एक्सट्रैक्ट 5 प्रतिशत का छिड़काव करें। फसल 60 से 120 दिन की हो जाए तब मिश्रित कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करते हुए विभाग की ओर से दिए गए तरीके अपनाए।
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