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एक नाम दो कंपनियां और UIT की नासमझी! भीलवाड़ा में खुलेआम हुई लाखों रूपए की ठगी, जानिए क्या है पूरा मामला

 
एक नाम दो कंपनियां और UIT की नासमझी! भीलवाड़ा में खुलेआम हुई लाखों रूपए की ठगी, जानिए क्या है पूरा मामला 

नगर विकास न्यास की लापरवाही से 27 लाख के गलत भुगतान का मामला अब थाने पहुंच गया है। न्यास ने निर्माण एजेंसी लिबर्टी कंस्ट्रक्शन द्वारा उदयपुर और भीलवाड़ा के नाम पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें मिलते-जुलते नाम वाली एजेंसी के मालिकों पर षडयंत्र रचकर न्यास की सरकारी राशि हड़पने का आरोप लगाया है। न्यास सचिव ललित गोयल ने बताया कि एक ही नाम की दो निर्माण एजेंसियां पंजीकृत हैं। इनमें मैसर्स लिबर्टी कंस्ट्रक्शन उदयपुर को जारी होने वाले निर्माण कार्य के भुगतान का चेक मैसर्स लिबर्टी कंस्ट्रक्शन भीलवाड़ा के नाम जारी कर दिया गया। भीलवाड़ा की एजेंसी को नोटिस दिए जाने के बावजूद भुगतान राशि वापस नहीं की गई। इसमें उदयपुर की एजेंसी की मिलीभगत भी सामने आई है। सहायक अभियंता रामप्रसाद जाट के माध्यम से दोनों एजेंसियों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

यह है पूरा मामला
नगर विकास न्यास ने वर्ष 2023 में संतोकपुरा ग्राम पंचायत के लालखान जी का खेड़ा कब्रिस्तान से मांडल चौराहे तक नाले के निर्माण कार्य के लिए एक करोड़ चालीस लाख का टेंडर किया था। इस टेंडर से लिबर्टी कंस्ट्रक्शन उदयपुर का नाम छूट जाने पर एलओए जारी कर दिया गया। गलती से लिबर्टी कंस्ट्रक्शन जूनावास, उदयपुर के नाम एलओए जारी हो गया। उदयपुर के ठेकेदार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई और एलओए की रसीद भी दे दी। इतना ही नहीं, बैंक गारंटी भी उदयपुर की एजेंसी ने ही दी थी। इस वजह से गलती का पता नहीं चल सका।

चार कर्मचारियों को नोटिस
इस मामले में विभागीय स्तर पर भी खामियाँ सामने आई हैं। इस संबंध में तत्कालीन अधिशासी अभियंता जीतमल जाट और तत्कालीन सहायक लेखाधिकारी सुरेश काष्ट के साथ ही विभागीय कर्मचारी राजेंद्र मूंदड़ा और गोपाल तोतला को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे।

ट्रस्ट कर्मचारियों ने फिर दोहराई गलती
निर्माण कार्य का कार्यादेश जारी करते समय, ट्रस्ट कर्मचारियों ने फिर गलती दोहराई। लेकिन ट्रस्ट का कहना है कि इस बार भी कार्यादेश की रसीद उदयपुर एजेंसी ने ही दी थी। निर्माण कार्य का पहला चेक उदयपुर एजेंसी के नाम तीस लाख का जारी हुआ था। दूसरे बिल के संबंध में उदयपुर एजेंसी ने कहा कि उसके बैंक खाते की केवाईसी नहीं हुई है। राशि दूसरे बैंक खाते में जमा कराएँ। लेकिन चेक पुराने खाते के नाम से ही जारी किया गया था।इस पर तत्कालीन जिला कलेक्टर नमित मेहता ने संशोधित चेक जारी करने पर नाराजगी जताई और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने की हिदायत दी। इसके बावजूद ट्रस्ट कर्मचारी गलती नहीं सुधार पाए और भुगतान का तीसरा चेक उदयपुर की बजाय भीलवाड़ा एजेंसी के नाम लगा दिया गया। उदयपुर एजेंसी ने इस पर आपत्ति जताते हुए भुगतान की मांग की।