Bhilwara पक्षियों की पहचान के लिए पानी पर टिकी रही दूरबीनें
पक्षियों का सैर सपाटा स्थल : गुरलां तालाब भी पक्षियों का सैर सपाटा स्थल माना जाता है। यहां सिंगाड़े की खेती होती है और विदेशी पक्षियों का भी सर्द मौसम में डेरा रहता है। गत वर्ष यहां गणना में 2254 पक्षी मिले। मेजा बांध में आठ प्रजातियों के 970 पक्षी पाए गए थे। जबकि शाहपुरा के पिवणिया तालाब में केवल 4 प्रजाति के 84 पक्षी प्रजनन के लिए पहुंचे थे। इसी प्रकार शाहरपुरा के धनेश्वर एनिकट पर भी पक्षियों का डेरा नजर आया।
66 प्रजातियों के आवास
चावंडिया तालाब क्षेत्र में 66 प्रजातियों के आवास है। यहां दीपावली बाद मंगोलिया, चीन, रूस एवं यूरोप से लंबी दूरी तय कर हजारों विदेशी पक्षी पहुंचते हैं। इनका डेरा फरवरी तक यहां रहता है। इनमें मुयत: हेडेडगूज, डॉलमिशन पेलिकन, पेंटेड स्टॉर्क इत्यादि प्रजातियां शामिल है। तालाब का जलस्तर कम होने से इस बार देशी एवं विदेशी पक्षियों का छहराव अपेक्षाकृत कम हुआ है। गत वर्ष यहां चार हजार से अधिक पक्षी नजर आए थे।
देशी एवं विदेशी पावणो का रहता डेरा
भीलवाड़ा शहर में गत तीन वर्ष के दौरान देशी एवं विदेशी पक्षियों की आवक बढ़ी है। यहां नेहरू तलई, मानसरोवर झील व गांधी सागर तालाब पर मुयत: विसलिंग डक, नोब्ड बिल्ड डक, नार्दन शावलर, यूरेशियन मोरहेन, यूरेशियन कूट, ग्रे हेडेड स्वापहेन, वाइट हेडेड वाटर हेन, गजपांव, रफ, जांघिल, पनकौआ, करिछ्या बगुला, पॉन्ड हेरोन और ब्लैक क्राउन नाइट हेरॉन पक्षी खासतौर पर देखने को मिलते हैं. इसके अलावा ग्लोसी आइबिस, शिकरा, धनेश, किलकिला, काला कोतवाल, हाउस क्रो, पर्पल सनबर्ड, हाउस स्पैरो सहित प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की प्रजातियां भी नजर आती
