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जल संकट गहराया! करोड़ों के बिजली बिल बकाया के चलते भरतपुर समेत 6 शहरों की जलापूर्ति ठप होने का खतरा

 
जल संकट गहराया! करोड़ों के बिजली बिल बकाया के चलते भरतपुर समेत 6 शहरों की जलापूर्ति ठप होने का खतरा

भरतपुर न्यूज़ डेस्क - भरतपुर और डीग जिले के हजारों लोगों को पानी की आपूर्ति करने वाली चंबल धौलपुर-भरतपुर जलापूर्ति परियोजना संकट में आ गई है। करीब 2 करोड़ रुपए के बकाया बिल को लेकर जयपुर डिस्कॉम ने इस परियोजना के दो बड़े बिजली कनेक्शनों पर सख्ती शुरू कर दी है। जल्द ही भुगतान नहीं होने पर डिस्कॉम बिजली कनेक्शन काट सकता है, जिससे भरतपुर और डीग जिले में गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है।

चंबल धौलपुर-भरतपुर जलापूर्ति परियोजना के तहत धौलपुर से पानी लिफ्ट कर भरतपुर और डीग जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति की जाती है। इस परियोजना के तहत धौलपुर में दो बड़े बिजली कनेक्शन लिए गए थे। पहला कनेक्शन 2700 केवीए क्षमता का (वर्ष 2011 से संचालित) और दूसरा बिजली कनेक्शन 2780 केवीए क्षमता का। इन दोनों कनेक्शनों का बिजली बिल भरतपुर चंबल परियोजना के अधिशासी अभियंता कार्यालय द्वारा भरा जाता है। इन कनेक्शनों का कुल बिजली बिल करीब 2 करोड़ रुपए बकाया है।

भुगतान की अंतिम तिथि 18 मार्च 2025 थी, लेकिन अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ है। डिस्कॉम ने भरतपुर चंबल परियोजना के अधिकारियों को कई बार नोटिस व रिमाइंडर भेजे, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। अब डिस्कॉम ने बिजली आपूर्ति बाधित करने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसा हुआ तो भरतपुर व डीग जिले के हजारों परिवारों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इस संबंध में चंबल परियोजना एक्सईएन गोखलेश बसवाल ने बताया कि डिस्कॉम की ओर से उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। हालांकि विभागीय प्रक्रिया पूरी कर भुगतान के लिए ट्रेजरी में भेज दिया गया है। चंबल धौलपुर-भरतपुर जलापूर्ति परियोजना के तहत धौलपुर में 2 बिजली कनेक्शन हैं। इन कनेक्शनों पर 2 करोड़ रुपए के बिल बकाया हैं। अंतिम तिथि के 7 दिन बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। इस बारे में अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है।

ये इलाके होंगे प्रभावित
अगर चंबल जलापूर्ति परियोजना की बिजली काटी गई तो भरतपुर शहर, रूपवास, डीग, कुम्हेर, नगर, कामां, भरतपुर और डीग जिले के पहाड़ी इलाकों में पानी का संकट गहरा सकता है। ये सभी इलाके चंबल जलापूर्ति परियोजना के अंतर्गत आते हैं और जलापूर्ति पूरी तरह इसी परियोजना पर निर्भर है।