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प्रदेश में जल संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा: 41 जिलों में 25 हजार खेत तालाब बनेंगे, किसानों को 90% तक अनुदान

 
प्रदेश में जल संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा: 41 जिलों में 25 हजार खेत तालाब बनेंगे, किसानों को 90% तक अनुदान

प्रदेश में जल संरक्षण को बढ़ावा देने और खेती में सिंचाई के स्थायी समाधान के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। योजना के तहत राज्य के 41 जिलों में कुल 25 हजार खेत तालाबों का निर्माण किया जाएगा। इन तालाबों के निर्माण पर किसानों को सरकार की ओर से आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जो अलग-अलग श्रेणी के किसानों के लिए अधिकतम 90 प्रतिशत तक होगी।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, खेत तालाब योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए वर्षाजल का अधिकतम भंडारण उपलब्ध कराना है। इससे न केवल खेती की लागत कम होगी, बल्कि सूखे और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी फसलों को बचाया जा सकेगा। योजना के अंतर्गत तालाब के निर्माण पर लगने वाली लागत का 60% तक या अधिकतम ₹1.20 लाख तक का अनुदान सीधे किसानों के खाते में दिया जाएगा।

योजना में छोटे और सीमांत किसानों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा। उनके लिए सरकार की ओर से अधिकतम 90% तक सब्सिडी निर्धारित की गई है। वहीं, अन्य श्रेणी के किसानों को भी अनुदान का लाभ मिलेगा, जिससे वे कम लागत में वर्षाजल संचयन प्रणाली विकसित कर सकेंगे।

जल संरक्षण विशेषज्ञों के अनुसार, खेत में बने तालाब न केवल सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं, बल्कि भूजल स्तर को भी पुनर्भरित करते हैं। कई जिलों में लगातार हो रही भूजल गिरावट को देखते हुए यह योजना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। तालाबों के निर्माण से न केवल खरीफ और रबी फसलों के लिए पर्याप्त जल मिलेगा, बल्कि पशुपालन और फल-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भी लाभ होगा।

राज्य सरकार का कहना है कि तालाबों का आकार, गहराई, क्षमता और स्थान कृषि विभाग के तकनीकी मानकों के अनुसार तय किया जाएगा। किसानों को आवेदन करने से लेकर स्वीकृति और भुगतान तक की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और समय की बचत हो।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कई जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में खेत तालाब बनाकर किसानों को लाभान्वित किया जा चुका है। जहां भी तालाब बने हैं, उन क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई लागत में 40 से 60 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसके साथ ही वर्षा कम होने की स्थिति में भी फसलों को पर्याप्त पानी मिल सका, जिससे उपज में वृद्धि दर्ज की गई।

किसानों ने भी इस योजना का स्वागत करते हुए कहा कि सिंचाई का सबसे सस्ता और भरोसेमंद साधन खेत तालाब ही है। डीज़ल या बिजली के पंप से पानी खींचने पर होने वाले खर्च की तुलना में तालाब से सिंचाई किफायती और सुरक्षित है।

सरकार ने संबंधित जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को योजना की जानकारी गांव-गांव पहुंचाएं और पात्र किसानों को शीघ्र आवेदन कराने के लिए प्रेरित करें। साथ ही निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण की जिम्मेदारी भी तय की गई है।

जल संरक्षण और कृषि दोनों को मजबूती देने वाली यह योजना आने वाले समय में प्रदेश के किसानों के लिए जीवनदायी साबित हो सकती है। यदि योजना प्रभावी रूप से लागू होती है, तो प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कृषि का स्वरूप बदल सकता है और किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।