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सोशल मीडिया से आदिवासी किसान राजेश कुमार ने बनाई आर्थिक मजबूती

 
सोशल मीडिया से आदिवासी किसान राजेश कुमार ने बनाई आर्थिक मजबूती

राजस्थान के कुशलगढ़ क्षेत्र के घाटा गांव के आदिवासी किसान राजेश कुमार डिंडोर ने साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आर्थिक मजबूती का जरिया भी बन सकती है।

राजेश पेशे से शिक्षक हैं, लेकिन कम पानी में खेती करने की चुनौती ने उन्हें नए रास्ते खोजने पर मजबूर किया। उन्होंने अपनी खेती और कृषि तकनीकों को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू किया। इसके जरिए न केवल उन्हें अन्य किसानों और कृषि विशेषज्ञों से संपर्क मिला, बल्कि उनके अनुभव और ज्ञान को देखकर लोग उनसे जुड़ने लगे।

राजेश ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में उन्नत तकनीक और जल संरक्षण के तरीकों को अपनाया और इसके परिणाम सोशल मीडिया पर साझा किए। वीडियो और पोस्ट के जरिए उनकी पहुंच बढ़ी और धीरे-धीरे उन्हें कृषि उत्पादों के ऑनलाइन विपणन और सलाह देने के नए अवसर भी मिले।

इस प्रयास के जरिए राजेश ने अपनी आमदनी में बढ़ोतरी की और गांव के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बने। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया ने मुझे न केवल ज्ञान साझा करने का अवसर दिया, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत बनने में भी मदद की।”

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उदाहरण दिखाते हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का सही इस्तेमाल कर छोटे किसान और ग्रामीण भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं। खेती से जुड़े ज्ञान, तकनीक और अनुभव साझा करने के जरिए वे नई बाजार संभावनाओं का लाभ उठा सकते हैं।

राजेश कुमार का यह प्रयास यह संदेश देता है कि सोशल मीडिया केवल समय बिताने का माध्यम नहीं, बल्कि सही दिशा में इस्तेमाल करने पर यह ग्रामीणों और छोटे उद्यमियों के लिए जीवन बदलने वाला साधन बन सकता है।