कड़ाके की ठंड से जनजीवन बेहाल, गौशालाओं में गोवंश पर मंडराने लगा खतरा
जिले में कड़ाके की सर्दी ने आमजन के साथ-साथ पशुधन को भी गंभीर रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। तापमान में तेजी से गिरावट और कंपकंपाती हवाओं के बीच जहां लोग गर्म कपड़ों और अगनबत्ती का सहारा ले रहे हैं, वहीं गौशालाओं में रहने वाले गोवंश बढ़ती ठंड से जूझ रहे हैं। खासकर छोटे, कमजोर और बुजुर्ग पशुओं पर जान का खतरा मंडराने लगा है। कई स्थानों पर ठंड से बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की जानकारी भी सामने आई है।
जनजीवन पर ठंड का असर
रोज़ाना सुबह-शाम घने कोहरे के चलते सड़क यातायात भी प्रभावित हो रहा है। कंपकंपाती हवाओं के बीच लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। मजदूरी करने वाले श्रमिकों तथा खुले में कार्य करने वाले कर्मचारियों को ठिठुरन का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों को विशेष कठिनाई हो रही है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने सर्दी से बचाव के लिए नागरिकों को आवश्यक सावधानियाँ बरतने की अपील की है।
गौशालाओं के हालात चिंताजनक
गौशालाओं में रहने वाले गोवंश के लिए यह मौसम बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। कई गौशालाओं में ठंड से बचाव के पर्याप्त इंतज़ाम न होने के कारण पशुओं के बीमार पड़ने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। पशु चिकित्सकों का कहना है कि छोटे और बुजुर्ग जानवरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वे निमोनिया और अन्य सर्दी से संबंधित बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। समय रहते इलाज न मिलने पर उनकी जान भी जा सकती है।
गौशाला संचालकों का कहना है कि बढ़ते ठंड के प्रकोप से बचाव हेतु उन्हें भूसे और कपड़ों से अस्थाई व्यवस्था करनी पड़ रही है, लेकिन संसाधनों की कमी बड़ी बाधा बन रही है। कई गौशालाओं में फर्श पर बिछाने के लिए पर्याप्त तिनके भी उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पशु सीधे ठंडी ज़मीन पर लेटने को मजबूर हैं।
प्रशासन और समाजसेवियों की अपील
समाजसेवी संस्थाओं और पशुप्रेमियों ने आगे आकर गौशालाओं में गर्माहट के इंतज़ाम के लिए स्वैच्छिक सहयोग की अपील की है। प्रशासनिक स्तर पर भी पशुधन के लिए राहत सामग्री उपलब्ध करवाने की योजनाएँ बनाई जा रही हैं। पशु विभाग ने गौशाला संचालकों को सलाह दी है कि पशुओं को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए शेड में पर्दे लगाएं, रात में अलाव जलाएं और समय-समय पर पशुओं की स्वास्थ्य जांच कराएं।
बचाव ही समाधान
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सर्दी का दौर अभी और कड़ा हो सकता है। इसलिए अभी से उचित प्रबंधन आवश्यक है। यदि पशुओं को उचित चारा, गुनगुना पानी और गर्माहट के साधन उपलब्ध हों, तभी वे इस मौसम से सुरक्षित निकल पाएंगे।
