धार्मिक कट्टरता के दौर में सद्भाव की मिसाल बने सलमान अली, बच्चों को सिखा रहे गुरुवाणी
आज जब समाज में धार्मिक कट्टरता और वैमनस्य की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती हैं, ऐसे माहौल में सलमान अली जैसे लोग उम्मीद की किरण बनकर सामने आ रहे हैं। सलमान अली न सिर्फ संगीत से जुड़े हुए हैं, बल्कि वे सद्भाव और भाईचारे की मिसाल भी पेश कर रहे हैं। उन्होंने धर्म की दीवारों से ऊपर उठकर बच्चों को गुरुवाणी सिखाने का बीड़ा उठाया है, जो समाज में आपसी सौहार्द को मजबूत करने का काम कर रहा है।
सलमान अली अब तक करीब 28 से अधिक बच्चों को गुरुवाणी सिखा चुके हैं, जिनमें से 8 से ज्यादा बच्चे नियमित रूप से गुरुवाणी का पाठ और गायन कर रहे हैं। खास बात यह है कि ये सभी बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं। सलमान का मानना है कि संगीत एक ऐसा माध्यम है, जो दिलों को जोड़ता है और धर्म के नाम पर बनी दूरियों को मिटा सकता है।
सलमान अली पेशे से संगीत शिक्षक हैं और लंबे समय से शास्त्रीय व धार्मिक संगीत से जुड़े हुए हैं। उन्होंने गुरुवाणी सीखने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया और इसके बाद बच्चों को यह ज्ञान देना शुरू किया। वे कहते हैं कि गुरुवाणी सिर्फ एक धर्म विशेष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता, प्रेम और समानता का संदेश देती है। यही वजह है कि वे चाहते हैं कि बच्चे बचपन से ही इन मूल्यों को समझें।
स्थानीय लोग सलमान अली के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब समाज में नफरत और विभाजन की बातें बढ़ रही हैं, तब इस तरह की पहल नई पीढ़ी को सही दिशा देने का काम करती है। कई अभिभावकों ने भी सलमान पर भरोसा जताते हुए अपने बच्चों को गुरुवाणी सीखने के लिए भेजा है।
सलमान अली का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी धर्म का प्रचार करना नहीं, बल्कि सद्भाव, आपसी सम्मान और शांति का संदेश फैलाना है। वे मानते हैं कि अगर बच्चे एक-दूसरे की संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को समझेंगे, तो भविष्य में समाज और मजबूत होगा।
सलमान अली की यह पहल साबित करती है कि आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जो नफरत के अंधेरे में दीपक बनकर सद्भाव की लौ जला रहे हैं। उनका यह प्रयास न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए एक सकारात्मक उदाहरण भी है।
