राजस्थान के DGP उत्कल रंजन साहू बने RPSC के नए अध्यक्ष, राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने जारी की नियुक्ति के आदेश
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने मंगलवार सुबह पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू को राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC Chairman) का अध्यक्ष नियुक्त किया। साहू की इस नियुक्ति के साथ ही राजस्थान पुलिस में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। राजस्थान के नए डीजीपी की रेस में संजय अग्रवाल और राजीव शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक पैनल के नाम मंजूरी के लिए दिल्ली भेजे गए हैं और जल्द ही बड़े बदलाव की घोषणा हो सकती है।
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी
उत्कल रंजन साहू 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। उन्होंने 18 नवंबर 1991 को जोधपुर एएसपी के तौर पर अपनी पुलिस सेवा शुरू की थी। इसके बाद वे सीकर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, भीलवाड़ा, धौलपुर और जोधपुर जिलों में एसपी के पद पर भी रह चुके हैं। जून 2020 में ही उन्हें डीजी रैंक में प्रमोशन मिला था। इससे पहले वे करीब ढाई साल तक डीजी (महानिदेशक) होमगार्ड के पद पर तैनात रहे थे। 2024 में बने स्थायी डीजीपी
29 दिसंबर 2023 को साहू को राजस्थान के डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया, तब राज्य के तत्कालीन डीजीपी उमेश मिश्रा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। लेकिन 10 फरवरी 2024 को कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी कर उत्कल रंजन साहू को राजस्थान का स्थायी डीजीपी बना दिया। उन्हें 2 साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया।
गहलोत ने कल उठाया था मुद्दा
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक दिन पहले ही आरपीएससी चेयरमैन की नियुक्ति का मुद्दा उठाया था। उन्होंने एक्स पर लिखा था- 'भाजपा नेताओं ने चुनाव से पहले युवाओं को गुमराह करने और हमारे खिलाफ झूठे आरोप लगाकर भ्रम फैलाने के लिए आरपीएससी में सकारात्मक बदलाव कर परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया को तेज करने का वादा किया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार 10 महीने में आरपीएससी का नया चेयरमैन नियुक्त नहीं कर पाई है और न ही सदस्यों के रिक्त पदों को भर पाई है।
यहां तक कि पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार किए गए निलंबित सदस्य को भी बर्खास्त नहीं किया गया है। आरपीएससी में रिक्त पदों के कारण भर्तियों में समय लग रहा है। जिन भर्तियों में साक्षात्कार हो रहे हैं, उनमें कई महीने लग रहे हैं और बेरोजगार युवाओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। यह भाजपा की कथनी और करनी का अंतर है, जिससे युवाओं में गुस्सा है।
