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मनरेगा की जगह ‘जी राम जी’ कानून से मिलेगा ग्रामीणों को रोजगार, भ्रष्टाचार रोकना होगी सबसे बड़ी चुनौती

 
मनरेगा की जगह ‘जी राम जी’ कानून से मिलेगा ग्रामीणों को रोजगार, भ्रष्टाचार रोकना होगी सबसे बड़ी चुनौती

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा की जगह संसद में पारित किए गए नए कानून ‘जी राम जी’ (ग्रामीण रोजगार आश्वासन मिशन) को एक बड़े सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह कानून ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और जरूरतमंद लोगों को समय पर काम उपलब्ध कराएगा। हालांकि, विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि इस नई योजना के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसे भ्रष्टाचार से मुक्त रखना होगी।

दरअसल, मनरेगा योजना बीते वर्षों में रोजगार उपलब्ध कराने में अहम साबित हुई, लेकिन इसके साथ ही इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों और गबन के मामले भी सामने आए। सरकारी और सामाजिक ऑडिट रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले पांच साल में मनरेगा में 1500 से ज्यादा गबन और अनियमितताओं की शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें फर्जी जॉब कार्ड, बिना काम किए भुगतान, मजदूरी में कटौती और सामग्री खरीद में घोटाले जैसे मामले शामिल रहे।

यदि वर्ष 2019 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आता है कि हर साल सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से कई मामलों में जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई भी की गई। इसके बावजूद भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम नहीं लग सकी। यही वजह है कि सरकार ने मनरेगा की जगह नए कानून ‘जी राम जी’ को लागू करने का फैसला किया है।

सरकार का कहना है कि ‘जी राम जी’ के तहत रोजगार सृजन की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और तकनीक आधारित बनाया जाएगा। इसमें डिजिटल उपस्थिति, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), जियो-टैगिंग और रियल टाइम मॉनिटरिंग जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं, ताकि फर्जीवाड़े की गुंजाइश कम हो सके। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर सोशल ऑडिट को और मजबूत करने का भी दावा किया गया है।

हालांकि, जानकारों का कहना है कि केवल कानून बदलने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। जमीनी स्तर पर निगरानी, जवाबदेही और सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी डिजिटल साक्षरता की कमी है, जिसका फायदा उठाकर बिचौलिए और भ्रष्ट तत्व नई योजना में भी सेंध लगा सकते हैं। ऐसे में ‘जी राम जी’ को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक इच्छाशक्ति और पारदर्शिता दोनों की जरूरत होगी।

ग्रामीण मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी इस नए कानून पर नजर बनी हुई है। उनका कहना है कि रोजगार की गारंटी तभी सार्थक होगी, जब मजदूरी समय पर मिले, काम वास्तविक हो और किसी भी स्तर पर कटौती या गबन न हो। साथ ही शिकायतों के निस्तारण के लिए तेज और निष्पक्ष व्यवस्था होना भी जरूरी है।

सरकार के लिए यह कानून एक अवसर भी है और परीक्षा भी। यदि ‘जी राम जी’ के तहत भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण किया गया, तो यह ग्रामीण भारत के लिए एक मजबूत और भरोसेमंद रोजगार मॉडल बन सकता है। लेकिन यदि पुरानी समस्याएं नए नाम के साथ दोहराई गईं, तो मनरेगा की तरह यह योजना भी सवालों के घेरे में आ सकती है।