Aapka Rajasthan

RGHS घोटाले में 500 करमचारियों पर लटकी शक की तलवार, इलाज के नाम पर लाखों के फर्जी बिल पास कराए

 
RGHS घोटाले में 500 करमचारियों पर लटकी शक की तलवार, इलाज के नाम पर लाखों के फर्जी बिल पास कराए

राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) में फर्जी इलाज और कई गुना पैसे लेने के मामले में जिला प्रशासन स्तर पर जांच शुरू हो गई है। जांच के दायरे में 500 से अधिक कर्मचारी शामिल हैं। राज्य स्तर से इस मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गौरव कपूर ने दो डॉक्टरों और फार्मेसी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। मार्च माह में शासन सचिव वित्त व्यय के निर्देशन में हीरादास स्थित एपेक्स डेंटल क्लीनिक पर जांच की गई थी। इसके संचालक डॉ. मनीष गोयल हैं।

जांच के दौरान सामने आया कि कशिश फार्मेसी की मिलीभगत से यह बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया। जांच के दौरान कशिश फार्मेसी के लेन-देन की भी जांच की गई। टीम ने यहां इलाज कराने वाले कार्डधारकों से भी बात की। जांच के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने एपेक्स डेंटल क्लीनिक में डॉ. मनीष गोयल से संपर्क कर आरजीएचएस योजना के तहत फर्जी तरीके से इलाज कराया।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एपेक्स क्लीनिक के संचालक डॉ. मनीष गोयल ने उनकी एसएसओ आईडी और पासवर्ड ले लिया था। इसके बाद इलाज की राशि से कई गुना अधिक बिल बनाए गए। ये ट्रांजेक्शन कशिश फार्मेसी से किए गए। जांच के बाद करीब 500 कर्मचारियों के कार्ड ब्लॉक किए गए। अब जिला प्रशासन स्तर पर ऐसे कार्ड धारकों की जांच की जा रही है। एसडीएम उच्चैन के नेतृत्व में मामले की जांच चल रही है। इसमें डॉक्टरों का पैनल शामिल है। सूत्रों का दावा है कि प्रथम दृष्टया इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

पुलिस भी कर रही मामले की जांच
सीएमएचओ डॉ. गौरव कपूर ने शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (जनता क्लीनिक) पक्काबाग के प्रभारी विकास फौजदार, एपेक्स डेंटल के संचालक डॉ. मनीष गोयल और कशिश फार्मेसी के संचालक राकेश कुमार के खिलाफ अटलबंद थाने में केस दर्ज कराया है। एफआईआर में कहा गया कि तीनों आरोपियों ने मिलीभगत कर आरजीएचएस योजना में फर्जी तरीके से लोगों का इलाज कर बिल बनाए और राजकोष को नुकसान पहुंचाया। टीम की जांच में यह गबन का मामला पाया गया। इसमें फर्जी तरीके से लोगों के दांतों का इलाज कर पैसे जुटाए गए। खास बात यह है कि मूल रकम से चार गुना ज्यादा पैसे वसूले गए। इसमें सरकारी डॉक्टरों की मिलीभगत की भी जांच की गई।