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फसल बीमा में जटिल नियमों से किसान परेशान: सब्जी और फूलों की खेती का बीमा नहीं करवा पा रहे हजारों किसान

 
फसल बीमा में जटिल नियमों से किसान परेशान: सब्जी और फूलों की खेती का बीमा नहीं करवा पा रहे हजारों किसान

प्रदेश के हजारों गांवों में किसान सब्जी और फूलों की खेती कर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन उनकी यह मेहनत जोखिम में बनी रहती है। वजह—वे अपनी मर्जी से इन फसलों का बीमा नहीं करवा सकते। सरकार द्वारा हर जिले के लिए अलग-अलग नियम तय किए गए हैं, जिनमें किसानों को केवल एक या दो चिह्नित फसलों का ही बीमा करवाने की अनुमति है। ऐसे में वे फसलें जिनका वास्तविक नुकसान सबसे ज्यादा होता है—जैसे सब्जियां और फूल—बीमा दायरे से बाहर रह जाती हैं।

जानकारी के अनुसार कई जिलों में केवल अनाज और दलहन जैसी प्रमुख फसलों को ही बीमा सूची में शामिल किया गया है। वहीं, सब्जियों, फूलों और नकदी फसलों को शामिल नहीं करने से किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। किसान कहते हैं कि इन फसलों में लागत अधिक और जोखिम सबसे ज्यादा होता है, लेकिन बीमा सुरक्षा न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है।

बीमा कंपनियों और कृषि विभाग द्वारा चिह्नित फसलों की सूची जिले-दर-जिले अलग होती है। किसी जिले में केवल एक फसल का बीमा होता है, जबकि कहीं दो फसलें सूचीबद्ध हैं। किसान बताते हैं कि वे जिस फसल की खेती वास्तव में करते हैं, उसका बीमा करवाने की अनुमति ही नहीं मिलती। इसके चलते प्राकृतिक आपदा, ओलावृष्टि, कीट प्रकोप या मौसम के अचानक बदलने पर हुए नुकसान का पूरा बोझ किसानों को खुद उठाना पड़ता है।

किसानों का यह भी कहना है कि सब्जी और फूलों की खेती के लिए आधारभूत संरचना, सिंचाई, बीज और श्रम लागत पहले से ही अधिक होती है। ऐसे में अगर फसल नष्ट हो जाए और बीमा भी न मिले, तो कर्ज बढ़ जाता है। कई किसान मजबूर होकर पारंपरिक फसलों की तरफ लौटने लगते हैं, जिससे उनकी आमदनी घटती है।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बीमा कवरेज का दायरा बढ़ाना बेहद जरूरी है। बदलते मौसम और अनिश्चित जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए नुकसान का जोखिम लगातार बढ़ रहा है। सब्जियों और फूलों जैसी तेजी से नष्ट होने वाली फसलों को बीमा सुरक्षा मिलना आवश्यक है।

किसान संगठनों ने भी सरकार से मांग की है कि बीमा योजना के नियम पूरे प्रदेश में समान किए जाएं और अधिक से अधिक फसलों को शामिल किया जाए। उनका कहना है कि वर्तमान नियम किसानों के हित में नहीं हैं और योजनाओं का वास्तविक लाभ बहुत सीमित लोगों तक पहुंच पाता है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस विषय पर समीक्षा की जा रही है और आगे आने वाले सीजन में फसल बीमा के दायरे को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि किसानों को अभी भी स्पष्ट दिशा-निर्देशों का इंतजार है।