फेस स्कैनिंग सिस्टम बना बाधा, भरतपुर में ड्राइविंग टेस्ट में अधिकारी ही हुए फेल
परिवहन विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के उद्देश्य से नया फेस स्कैनिंग सिस्टम लागू तो कर दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत में यह व्यवस्था आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती नजर आ रही है। हालात ऐसे हैं कि अब लाइसेंस बनवाना लगभग असंभव सा हो गया है। इसकी झलक गुरुवार को भरतपुर में उस समय देखने को मिली, जब नए ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट लेने वाले अधिकारी खुद ही फेल हो गए।
जानकारी के अनुसार, भरतपुर के नए ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर फेस स्कैनिंग आधारित सिस्टम से टेस्ट लिया जा रहा था। इस सिस्टम में ड्राइविंग टेस्ट के दौरान अभ्यर्थी की पहचान फेस स्कैन के जरिए की जाती है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी या फर्जीवाड़े को रोका जा सके। हालांकि तकनीकी खामियों और सिस्टम की अत्यधिक सख्ती के कारण कई बार सही तरीके से वाहन चलाने के बावजूद अभ्यर्थी फेल घोषित हो रहे हैं।
गुरुवार को स्थिति तब और भी चौंकाने वाली हो गई, जब ड्राइविंग टेस्ट का निरीक्षण करने और प्रक्रिया को परखने के लिए स्वयं टेस्ट लेने वाले अधिकारी ट्रैक पर उतरे। बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने जब नए ऑटोमैटिक ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट दिया तो वे भी सिस्टम के मानकों पर खरे नहीं उतर पाए और फेल हो गए। इस घटना ने फेस स्कैनिंग सिस्टम और ऑटोमैटिक ट्रैक की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लाइसेंस बनवाने पहुंचे अभ्यर्थियों का कहना है कि तकनीकी दिक्कतों के कारण उनका बार-बार टेस्ट रद्द हो रहा है या वे फेल घोषित कर दिए जा रहे हैं। कई लोगों ने आरोप लगाया कि फेस स्कैन ठीक से काम नहीं कर रहा, कभी कैमरा चेहरा पहचान नहीं पाता तो कभी सिस्टम बीच में ही रुक जाता है। इसके बावजूद अभ्यर्थियों को दोबारा शुल्क देकर नया स्लॉट लेना पड़ रहा है।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नया सिस्टम पारदर्शिता के लिए लागू किया गया है और शुरुआती दौर में कुछ तकनीकी समस्याएं आ सकती हैं। विभाग का दावा है कि इन खामियों को दूर किया जा रहा है और जल्द ही व्यवस्था सुचारू हो जाएगी।
