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Barmer सीमा पर बसे आखिरी गांव रोहिड़ी में मोबाइल नेटवर्क नहीं

 
Barmer सीमा पर बसे आखिरी गांव रोहिड़ी में मोबाइल नेटवर्क नहीं

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, बाड़मेर भारत-पाक सीमा पर एक ऐसा गांव है, जहां आजादी के बाद भी मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचा है। राशन बांटने के लिए भी डीलर को धोरे पर चढ़कर ग्रामीणों के फिंगर प्रिंट पोस मशीन पर लेने पड़ते हैं। जहां दुकान है, वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है। धोरे के ऊपर ही मोबाइल नेटवर्क मिलता है, राशन बांटने की व्यवस्था ऑनलाइन पोस मशीन के जरिए है। ऐसे में दुकानदार पोस मशीन लेकर धोरे पर पहुंचता है, जहां ग्रामीण अपने फिंगर प्रिंट लगाते हैं,

जिसके बाद उन्हें वापस दुकान पर आकर राशन लेना पड़ता है। सीमा पर स्थित यह गांव है रोहिड़ी। यहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है। राशन का गेहूं लेने के लिए भी उन्हें मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि पोस मशीन पर अंगूठा लगाने के लिए नेटवर्क की जरूरत होती है। 200 मीटर दूर धोरा चढ़ने के बाद ही नेटवर्क आता है। ऐसे में पोस मशीन को धोरे पर ले जाया जाता है, जहां नेटवर्क मिलने पर अंगूठा लगाया जाता है और फिर ग्रामीणों को राशन मिलता है। सीमा पर रोहिड़ी के अलावा कई गांवों में नेटवर्क की समस्या है। लोगों को अपने घरों में नेटवर्क तभी मिलता है जब वे अपने मोबाइल को छत पर ले जाते हैं या ऊंचाई पर रखते हैं।

"मैं 60 साल का हूँ, लेकिन मुझे हर महीने राशन का सामान लेने के लिए खंभे पर चढ़ना पड़ता है, क्योंकि गाँव में राशन की दुकान पर नेटवर्क नहीं है, इसलिए मैं पीओएस मशीन पर अपना अंगूठा लगाने के लिए खंभे पर चढ़ता हूँ। मुझे सालों से मोबाइल नेटवर्क की समस्या आ रही है।"