Barmer सिलेंडर को मोहनगढ़ ट्रीटमेंट प्लांट भेजने की तैयारी की जा रही है
बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, शहर के करेली नदी पंप हाउस पर क्लोरीन गैस सिलेंडर लीकेज होने के बाद पीएचईडी विभाग हरकत में आ गया है। 10 साल पहले आरयूआईडी ने 6 सिलेंडर खरीदे थे। जीरो प्वाइंट पर क्लोरीनेशन के लिए प्लांट बनाया गया था, इसमें इन सिलेंडरों का उपयोग होना था, लेकिन पीएचईडी को सौंपे जाने के बाद आज तक इन सिलेंडरों का उपयोग नहीं हो पाया है। सालों से भरे ये सिलेंडर कबाड़ हो गए। एक दिन पहले करेली नदी पंप हाउस पर सिलेंडर लीकेज होने से शहरवासियों की जान पर बन आई थी। इसके बाद अब प्रशासन ने बचे हुए 5 भरे सिलेंडरों को मोहनगढ़ पंप हाउस भेजने का निर्णय लिया है। ऐसे में एक सिलेंडर लीकेज के कारण खाली हो गया, जबकि बचे हुए 5 सिलेंडरों को मोहनगढ़ शिफ्ट किया जाएगा। आरयूआईडी द्वारा स्थापित प्लांट को 2018 तक पीएचईडी कागजों पर ही चलाता रहा। इसके बाद तकनीक में बदलाव करते हुए सिलेंडरों की जगह केमिकल के ड्रम से क्लोरीन गैस बनाने का प्लांट स्थापित किया।
पानी को शुद्ध करने के लिए 17 एमएलडी स्टोरेज के ऊपर दो प्लास्टिक की टंकियां लगाई गई। इसके बाद कुछ दिन प्लांट चलाया गया, लेकिन अब स्थिति स्पष्ट नहीं है। पीएचईडी एसई विपिन जैन ने बताया कि एक दिन पहले लीक हुए सिलेंडर को मोहनगढ़ हेडवर्क्स भेज दिया गया है। जीरो पॉइंट स्थित पुराने क्लोरीनेशन प्लांट पर 5 सिलेंडर रखे हैं। इन्हें भी एक्सपर्ट टीम के साथ मोहनगढ़ शिफ्ट किया जाएगा। प्लांट आरयूआईडीपी ने लगाया था। इसके बाद नई तकनीक का प्लांट लगाया है, जो चालू है। विभाग अब जीरो पॉइंट पर रखे 5 सिलेंडर को मोहनगढ़ डब्ल्यूटीपी (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) भेजने की तैयारी कर रहा है। बाड़मेर व जैसलमेर में नहरी पानी की सप्लाई के लिए मोहनगढ़ हेडवर्क्स पर 30 सिलेंडर क्षमता का क्लोरीनेशन प्लांट लगा हुआ है। इस प्लांट पर 2 से 2.5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) क्लोरीन प्रवाहित कर पानी की सप्लाई की जा रही है। यहां एक क्लोरीन सिलेंडर 3 से 4 दिन में खपत होता है। प्लांट में 26 सिलेंडर रखे हुए हैं। 1.5 टन वजन वाले सिलेंडर में 920 किलोग्राम क्लोरीन गैस होती है और सिलेंडर का वजन 600 किलोग्राम होता है। उपभोक्ता के घर पहुंचने वाले पानी में क्लोरीन की मात्रा 0.5 से 1 पीपीएम के बीच होनी चाहिए। एक सिलेंडर की कीमत 12 हजार रुपये है।