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Barmer में लोकबंधु फार्मूला बंद, नए कलेक्टर ने नहीं दिया ध्यान, बढ़ रहे मामले

 
Barmer में लोकबंधु फार्मूला बंद, नए कलेक्टर ने नहीं दिया ध्यान, बढ़ रहे मामले

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, बाड़मेर के सुदूरवर्ती गांवों में खौफनाक नजारा देखने को मिला. हर 100 मीटर पर मकान मिले या न मिले, लेकिन टांके जरूर मिलेंगे। टांके भी क्यों नहीं काटते, हर एक के लिए आपको सरकार की ओर से 3-3 लाख रुपए मिलते हैं। सैकड़ों बच्चों की मौत से सरकारी टांके बन गए और मनरेगा के तहत टांके का रिकॉर्ड बनाकर अधिकारी पुरस्कार पाते रहे। 10 साल में ही 414 से ज्यादा टांके कूदने के मामले सामने आ चुके हैं। गड्ढ़े खोदने का कारण यह है कि मरुस्थलीय क्षेत्रों में दूर-दूर तक पानी उपलब्ध नहीं होता है।

गुढ़ा मलानी, सिंधारी, बैतू सहित आसपास के 45 से अधिक गांवों व ढाणियों का दौरा किया। करीब डेढ़ लाख घरों और ढाणियों में 8 लाख से ज्यादा टांके लगे हैं। हर परिवार ने खेत, खेत और मकान में 2 से 8 खाई खोद ली है। हर सिलाई खुली पड़ी थी। खुले में होने के कारण महिलाएं अपने बच्चों को पानी में डुबो कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रही हैं। पूर्व कलेक्टर लोकबंधु ने टांके पर ताला अनिवार्य कर हैंडपंप लगवाए थे। लेकिन अब सारे टांके खुल गए हैं। कहीं नल नहीं है, लेकिन कलेक्टर दावा कर रहे हैं कि जेजेएम के तहत 25 फीसदी घरों में नल है.

मैंने बाड़मेर जिले में अनमोल जीवन अभियान चलाया था। सामूहिक आत्महत्याओं को रोकने के लिए इस अभियान को धरातल पर उतारने के लिए काफी काम किया गया। आत्महत्याएं क्यों और कहां होती हैं, इसके कारणों पर जाना। टांके खुले होने का एक कारण यह भी था। हमने टांके पर ताले लगवा लिए और उनके मुंह पर हैंडपंप लगाने लगे ताकि वे कूद न सकें. इससे 2022 में आत्महत्या दर में कमी आई मैंने 4 दिन पहले ही कलेक्टर का पदभार संभाला है। लेकिन टांके में कूदकर आपने महिलाओं की आत्महत्या के गंभीर मुद्दे की ओर इशारा किया है। इस पर गंभीरता से काम करेंगे। मैं जल्द ही इसकी समीक्षा बैठक लेकर आगे की कार्ययोजना तैयार करूंगा।