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Barmer प्रदेश के 7 कॉलेजों में शिक्षकों के अभाव से पढ़ाई में आई बाधा

 
Barmer प्रदेश के 7 कॉलेजों में शिक्षकों के अभाव से पढ़ाई में आई बाधा

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, शिव व चौहटन कॉलेज के प्रभारी बाबूलाल, कमलकांत, सोहनलाल, मदनलाल से बातचीत में ने बताया कि सभी कॉलेजों में स्थिति विकट है। कॉलेज खुले 7 साल बीत गए, लेकिन स्टाफ नहीं दिया गया। फैकल्टी के अभाव में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। अब एक भी स्टाफ कैसे काम करेगा। हम सरकार से जुलाई में स्टाफ उपलब्ध करवाने का आग्रह करेंगे, ताकि शिक्षण कार्य हो सके। वर्ष 2014 में हुई भर्ती के बाद कोई भर्ती नहीं की गई।

दूसरी ओर, सरकारी कॉलेजों में हर साल सेवानिवृत्त होने वाले व्याख्याताओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन लंबे समय से नई नियुक्तियां नहीं हो रही हैं। हर साल प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष की कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं हो रही। बाड़मेर में गडरारोड, नोखड़ा, सेड़वा, बिशाला, गोलिया जैतमाल में राजसेज के माध्यम से कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इन कॉलेजों में एक भी स्थाई व्याख्याता नहीं है। जबकि हर साल 200 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है। अब प्रत्येक कॉलेज में 450 से 500 विद्यार्थी नियमित अध्ययन कर रहे हैं। हालांकि इन कॉलेजों में विद्या संबल योजना लागू है, लेकिन ऐसे में शिक्षण कार्य चल रहा है। लेकिन इन कॉलेजों में अभी तक भवन नहीं बन पाए हैं। इसी तरह कृषि कॉलेज बाड़मेर व गुड़ामालानी की स्थिति भी यही बनी हुई है। यहां एक भी स्टाफ नहीं है।

 सीमावर्ती बाड़मेर जिले में सरकारी कॉलेजों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकार ने पुराने कॉलेजों में व्यवस्थाएं सुधारने की बजाय नए कॉलेज खोलकर समस्या खड़ी कर दी है। अब पिछले 10 साल में खुले 11 कॉलेजों में न तो कोई शिक्षक है और न ही संसाधन। ऐसे में हर साल हजारों अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है और वे चंद स्टाफ के भरोसे शिक्षण कार्य से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सता रही है। सरकार ने वाहवाही बटोरने के लिए कई कॉलेज खोल दिए, लेकिन कॉलेज के पास न तो अपना भवन है और न ही स्टाफ की नियुक्ति हुई है। राज्यसेज के माध्यम से संचालित कॉलेजों में प्रवेश के लिए नोडल नियुक्त किए गए हैं, ताकि प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो सके। ऐसे में उच्च शिक्षा के हालात बिगड़ रहे हैं। वहीं बाड़मेर पीजी कॉलेज और गर्ल्स कॉलेज में भी कई पद रिक्त हैं। यहां भी व्याख्याताओं के रिक्त पदों को लेकर लंबे समय से विरोध हो रहा है।

अब प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। बाड़मेर का गुड़ामालानी कॉलेज वर्ष 2013 में शुरू हुआ था, जहां वर्तमान में तीन का स्टाफ है, जबकि 380 विद्यार्थी हैं। यहां न तो प्रिंसिपल है और न ही गैर शैक्षणिक स्टाफ। इसी तरह सरकार ने वर्ष 2018 में शिव, चौहटन और धोरीमन्ना कॉलेज शुरू किए हैं। इन तीनों कॉलेजों में 1608 विद्यार्थी नियमित अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन इन कॉलेजों में मात्र 1-1 स्टाफ है। ऐसे में शैक्षणिक कार्य तो दूर, कॉलेज का कार्यालयीन कार्य भी नहीं हो पा रहा है। अप्रेल 2018 में शिव व चौहटन में कॉलेज खोलने की घोषणा हुई थी और जुलाई 2018 में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई थी। अब 7 साल बीत गए लेकिन दोनों कॉलेजों को अभी तक अपने भवन नहीं मिले हैं। चौहटन में कॉलेज निर्माण के लिए उस समय बजट स्वीकृत हुआ था और काम भी शुरू हुआ था, लेकिन अब छह माह से काम बंद पड़ा है। हालांकि शिव में चार साल बाद बजट मिला और काम भी पूरा हो गया है। लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भवन हैंडओवर नहीं किया है। कॉलेज स्वीकृत कार्यरत रिक्त विद्यार्थी गुड़ामालानी 10 03 07 380 शिव 10 01 09 510 चौहटन 10 01 09 490 धोरीमन्ना 10 01 09 608