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बाड़मेर में किसानों का कलेक्ट्रेट घेराव, 200 ट्रैक्टर से निकले, फसल मुआवजा समेत अन्य मांगों पर सहमति बनी

 
बाड़मेर में किसानों का कलेक्ट्रेट घेराव, 200 ट्रैक्टर से निकले, फसल मुआवजा समेत अन्य मांगों पर सहमति बनी

जिले के किसानों ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया। लगभग 200 ट्रैक्टर लेकर किसान कलेक्ट्रेट की ओर कूच किए और अपने विरोध स्वरूप प्रदर्शन करने की तैयारी की। किसानों ने फसल मुआवजा, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और अन्य कई मुद्दों को लेकर प्रशासन से तत्काल समाधान की मांग की थी। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे धरने और लंबा प्रदर्शन करने की चेतावनी दे चुके थे।

किसानों की इस सघन संख्या और ट्रैक्टर रैली ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी। कलेक्ट्रेट के बाहर सुरक्षा और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया। प्रशासन ने किसान नेताओं के साथ चार घंटे तक वार्ता की, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने मुद्दों को विस्तार से रखा। वार्ता में किसानों की प्रमुख मांगों—जैसे फसल मुआवजे की तत्काल घोषणा, सिंचाई और कृषि सब्सिडी से जुड़े मुद्दे—पर चर्चा हुई।

वार्ता के बाद प्रशासन और किसान नेताओं के बीच सहमति बन गई, जिसके तहत किसानों की कुछ मांगों को मान्यता दी गई और शेष मुद्दों पर जल्द समाधान का आश्वासन दिया गया। इसके बाद किसानों ने शांतिपूर्वक कलेक्ट्रेट से वापसी की और ट्रैक्टर रैली के माध्यम से अपने घरों की ओर लौटे।

किसानों के इस आंदोलन ने क्षेत्र में कृषि और ग्रामीण मुद्दों पर प्रशासन की संवेदनशीलता को उजागर किया। स्थानीय लोगों ने इस घटना को सफल किसान आंदोलन बताया, जिसमें किसी भी प्रकार की हिंसा या तोड़-फोड़ नहीं हुई। किसान नेताओं ने भी जोर देकर कहा कि उनका उद्देश्य केवल शांतिपूर्ण प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांगों को प्रशासन तक पहुंचाना था।

प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि किसान नेताओं के साथ वार्ता में यह निर्णय लिया गया कि फसल मुआवजे के लिए एक समयसीमा तय की जाएगी और संबंधित विभाग इस प्रक्रिया में तेजी लाएगा। इसके अलावा, सिंचाई योजनाओं और अन्य कृषि संबंधित समस्याओं का समाधान भी शीघ्र किया जाएगा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि भविष्य में किसानों की समस्याओं को समय रहते सुनने और समाधान करने के लिए जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया जाएगा।

किसानों का कहना है कि वे समय-समय पर अपनी समस्याओं को प्रशासन के सामने रखते रहेंगे और यदि उन्हें समाधान नहीं मिला, तो आंदोलन करने का अधिकार उनका सुरक्षित रहेगा। इस आंदोलन ने यह स्पष्ट किया कि ग्रामीण और कृषि समुदाय अपनी आवाज़ उठाने में पीछे नहीं हटेंगे और सरकार को उनके हितों की सुरक्षा करनी होगी।

बाड़मेर जिले में यह आंदोलन किसानों की संगठित ताकत और उनकी समस्याओं के प्रति प्रशासन की सजगता का उदाहरण है। चार घंटे की वार्ता और सहमति के बाद किसानों का शांतिपूर्ण वापसी इस बात का संकेत है कि संवाद और बातचीत से विवादों का समाधान संभव है।