Barmer एसडीएम के खिलाफ धमकी देने की शिकायत, आज काम नहीं करेंगे डॉक्टर

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, बाड़मेर जिले के सेड़वा के उपखंड अधिकारी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेड़वा के निरीक्षण के दौरान शनिवार को एक डॉक्टर को धमकाने के वायरल हुए वीडियो के बाद मामले ने रविवार को तूल पकड़ लिया। घटना के दूसरे दिन रविवार को अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के आह्वान पर चिकित्सकों ने काली पट्टा बांधकर विरोध दर्ज करवाया। साथ ही चिकित्सक की रिपोर्ट पर सेड़वा थाना पुलिस ने एसडीएम के खिलाफ परिवाद दर्ज कर जांच प्रारंभ की है। सेडवा के एसडीएम बद्रीनारायण विश्नोई स्थानीय सीएचसी का निरीक्षण करने के लिए गए थे। इस दौरान एक मरीज की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे तत्काल उपचार को लेकर डॉ. रामस्वरूव रावत को फटकारा और पुलिस के हवाले करने की धमकी दे दी। घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद सेवारत चिकित्सक संघ ने रविवार को काली पट्टी बांध विरोध जताया। साथ ही चिकित्सकों ने सोमवार को बाड़मेर समेत पूरे प्रदेश में दो घंटे कार्य का बहिष्कार करने की घोषणा की है। चिकित्सकों के संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि एसडीएम लिखित में आकर माफी मांगे,तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।
सांसद- विधायक ने घटना को बताया निंदनीय
बाड़मेर-जैसलमेर सांसद उमेदाराम बेनीवाल और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि सेड़वा एसडीएम की ओर से डॉ. रामस्वरूप रावत के साथ किए गए दुर्व्यवहार की निंदा करते है। उन्होंने लिखा कि कोई प्रशासनिक अधिकारी यदि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डॉक्टरों का समान नहीं कर सकता और धमकाने व अपमानित करने का कार्य करता है, यह गंभीर विषय है। सरकार को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
डॉक्टर की रिपोर्ट पर परिवाद दर्ज
सेड़वा थाना पुलिस ने डॉ. रामस्वरूव रावत की रिपोर्ट पर एसडीएम के खिलाफ परिवाद दर्ज किया है। रिपोर्ट में बताया कि शनिवार को सीएचसी सेड़वा पर सेवाएं दे रहा था। इस दौरान एसडीएम सेड़वा अचानक से कक्ष में दाखिल हुए और आवेश में आकर अपमानित करने लगे और धमकाया और सेवा में व्यवधान किया। उन्होंने चिकित्सक की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए धमकाया और अपराधिक बल प्रयोग किया। चिकित्सक ने बताया कि बीएनएस की धारा 504,506, 354 में प्रकरण दर्ज तत्काल कार्रवाई करें। सेड़वा थानाधिकारी दीपसिंह ने बताया कि बीएनएस की तहत सात साल के कम की सजा के प्रावधानों में परिवाद दर्ज कर पहले जांच कर सकते है, इसलिए परिवाद दर्ज किया गया है। जांच के बाद अपराध प्रमाणित होता है तो मामला दर्ज किया जाएगा।