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Barmer क्लोरीन गैस सिलेंडर लीक होने से मवेशी की मौत

 
Barmer क्लोरीन गैस सिलेंडर लीक होने से मवेशी की मौत

बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, बाड़मेर शहर के चोहटन सर्किल स्थित पीएचईडी पंप हाउस में रखे क्लोरीन गैस के टैंक से रविवार शाम को गैस रिसाव होने से अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलने पर जिला कलेक्टर, जलदाय विभाग के अधिकारी सहित नगर परिषद, नागरिक सुरक्षा व फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंची। स्थिति को देखते हुए आसपास के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। वहीं गैस रिसाव को नियंत्रित करने के लिए रिफाइनरी के साथ जेएसडब्ल्यू व केयर्न कंपनी के विशेषज्ञों को भी मौके पर जांच के लिए बुलाया गया। हालांकि एहतियात के तौर पर सड़कों पर आवाजाही रोक दी गई और करीब 5 से 6 घंटे बाद टैंक को क्रेन से बोलेरो कैंपर में डालकर राज वेस्ट पावर प्लांट शिफ्ट किया गया।

इस दौरान यातायात रोक दिया गया। इसके बाद प्रशासन व अधिकारियों ने राहत की सांस ली। जानकारी के अनुसार अन्नपूर्णा रसोई के पास पीएचईडी का पंप हाउस है। इसमें 920 किलो क्लोरीन गैस से भरे टैंक रखे हुए थे। शाम करीब 5 बजे एक गैस सिलेंडर में अचानक रिसाव हो गया। इससे आसपास घूम रहे दो से तीन मवेशियों की मौत हो गई। इसके बाद दमकल और प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को वहां से हटाया। सड़क जाम हो गई। जलदाय विभाग और प्रशासनिक अधिकारी विशेषज्ञों की टीम के साथ गैस रिसाव को नियंत्रित करने में जुटे रहे। जिला कलेक्टर निशांत जैन ने बताया- पीएचईडी पंप हाउस में रखे सिलेंडर से गैस रिसाव हुआ है। इसे नियंत्रित करने के लिए केयर्न और जेएसडब्ल्यू कंपनी की टीम बुलाई गई है। एहतियात के तौर पर सड़कें बंद कर दी गई हैं। जल्द ही स्थिति पर काबू पा लिया जाएगा। पीएमओ बीएल मंसूरिया के अनुसार क्लोरीन गैस से किसी की तबीयत खराब नहीं हुई है।

लेकिन चार लोग डर के कारण आए थे। तीन को चेकअप के बाद छुट्टी दे दी गई। एक जिसकी बकरियां मर गई थीं, उसे सदमे के कारण भर्ती कराया गया है। वह हमारी निगरानी में है। लेकिन उसकी तबीयत नियंत्रण में है। जलदाय विभाग और प्रशासन के प्रयास विफल पीएचईडी पंप हाउस में करीब 13 साल से रखे क्लोरीन टैंक की देखरेख नहीं होने से अचानक गैस रिसाव हो गया। पंप हाउस के आसपास घनी आबादी नहीं थी। इस कारण बड़ा हादसा नहीं हुआ। गैस रिसाव के बाद प्रशासन ने फायर ब्रिगेड को बुलाकर पानी डलवाया। लेकिन प्रशासन और जलदाय विभाग के पास इसे नियंत्रित करने के संसाधन नहीं थे। प्रशासन ने निजी कंपनियों की मदद ली। इसके बाद रिसाव पर काबू पाया गया।