Barmer बीएसएफ जवान ने भारत-पाक सीमा पर खुद को गोली मारी
बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली। जवान आज सुबह वॉच टावर पर तैनात था, जहां उसने अपनी सर्विस राइफल से गर्दन और सीने के बीच गोली मार ली। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जवान 12 दिन पहले ही एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटा था। घटना सुबह 8 बजे बाड़मेर जिले के बाखासर थाना क्षेत्र की बीओपी भादा पोस्ट पर हुई। जवान के आत्महत्या करने की सूचना मिलने पर बीएसएफ अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। एसएचओ विशाल कुमार ने बताया- जम्मू-कश्मीर निवासी कांस्टेबल बनारसी लाल (50) 83 बीएसएफ बटालियन में थे और बाखासर में बीएसएफ पोस्ट 3 अल्फा पर तैनात थे। रविवार सुबह वह वॉच टावर पर ड्यूटी पर थे। इसी दौरान उन्होंने गर्दन और सीने के बीच गोली मार ली। अचानक गोली की आवाज सुनकर साथी जवान दौड़कर मौके पर पहुंचे तो जवान का शव वॉच टावर के नीचे पड़ा था। बनारसी लाल के शरीर से खून बह रहा था। थानाधिकारी ने बताया- सुबह करीब साढ़े आठ बजे सूचना मिली कि जवान ने आत्महत्या कर ली है। इस पर वे मौके पर पहुंचे और मौका मुआयना किया। शव को वहां से बाड़मेर मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में लाया गया है। सुबह शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा। आत्महत्या के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। परिजनों को सूचना दे दी गई है।
एफएसएल टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए
बाड़मेर एएसपी जसाराम बोस ने बताया- बीएसएफ कांस्टेबल बनारसी लाल ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। एफएसएल टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए हैं। हालांकि आत्महत्या के कारणों का खुलासा जांच के बाद ही होगा। जवान करीब 26 साल से बीएसएफ में कार्यरत था। अप्रैल 2023 से वह बाखासर में तैनात था। एक माह की छुट्टी बिताकर 12 दिन पहले ही घर लौटा था।
छुट्टी नहीं मिलने और लंबी ड्यूटी से होता है तनाव
बीएसएफ से रिटायर हुए कमांडेंट ने बताया- जवानों के आत्महत्या करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। छुट्टी, ड्यूटी, व्यवहार या लंबे समय तक परिवार से दूर रहने के कारण वे तनाव में आ जाते हैं। कुछ जवान अपनी पोस्टिंग वाली जगह पर सुविधाओं को लेकर भी तनाव में रहते हैं। सीमावर्ती इलाकों में उनका मिलना-जुलना कम होता है। बीएसएफ में सेवा की शर्तें बहुत कठिन हैं। जवान हमेशा सीमा पर रहते हैं। कई बार इन जवानों को चुनाव ड्यूटी के साथ-साथ दूसरे कामों में भी लगा दिया जाता है। ड्यूटी के घंटे तय नहीं होते। कई बार शिफ्ट 12-16 से लेकर 22 घंटे तक की होती है। उन्हें सर्दी, गर्मी और बारिश में ड्यूटी करनी पड़ती है। तनाव में रहने के कारण जवान ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं।