Barmer कपूरड़ी माइंस से 11 साल में 480 लाख व जालीपा में 5 साल में 60 लाख मीट्रिक टन कोयले का अवैध खनन, अब दोनों माइंस बंद
बाड़मेर न्यूज़ डेस्क, बाड़मेर जालीपा व कपूरड़ी लिग्नाइट माइंस में बीएलएमसीएल के अवैध कोयला खनन का खेल आखिर खत्म हो गया। कपूरड़ी माइंस से वर्ष 2011 से कोयला खनन का काम शुरू किया गया। पिछले 11 साल में साउथ-वेस्ट माइनिंग ने 480 लाख मीट्रिक टन कोयला निकालकर राजवेस्ट पॉवर प्लांट भादरेस को सप्लाई कर दिया। वहीं जालीपा माइंस वर्ष 2017 में शुरू हुई। इस माइंस से कंपनी ने 60 लाख मीट्रिक टन कोयला खनन कर कंपनी को बेच दिया। यानी जिंदल समूह की कंपनी ने दोनों माइंस से अब तक 540 मीट्रिक टन कोयला का अवैध खनन कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया। कैग की रिपोर्ट के बाद कंपनी से जुर्माना राशि तक नहीं वसूली गई। आखिर केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय के निर्णय के बाद राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कपूरड़ी व जालीपा माइंस से कोयला खनन का काम बंद करवा दिया। जिंदल समूह की कंपनी राजवेस्ट के पॉवर प्लांट को इन दो माइंस से ही कोयला सप्लाई हो रहा था। अब खनन बंद होने के कारण प्लांट की आठ इकाइयों का संचालन भी खटाई में पड़ गया है। इस स्थिति में कंपनी ने कोर्ट में स्टे के लिए याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है। इधर, स्टॉक कोयले से राजवेस्ट पॉवर प्लांट की आठ इकाइयां का संचालन किया जा रहा है। कुछ दिन बाद कोयले के अभाव में इकाइयां का संचालन खटाई में पड़ने की आशंका है। जालीपा व कपूरड़ी माइंस में बिना खनन पट्टे के कोयले के अवैध खनन का मुद्दा उठाते हुए जिंदल समूह की कंपनी के कारनामे को उजागर किया। जिंदल समूह ने बिना पट्टे 2200 करोड़ का कोयला बेचा, न वसूली हुई न खनन रूका शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर अवैध कोयला खनन का खुलासा किया। इसके बाद 27 मार्च को राजवेस्ट ने 952 बीघा सरकारी भूमि से निकाला 50 लाख मीट्रिक टन कोयला शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर बिना आवंटन के सरकारी जमीन पर खनन के फर्जीवाड़े का खुलासा किया।
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सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों कपूरड़ी व जालीपा माइंस से खनन बंद करने के दिए थे आदेश कपूरड़ी व जालीपा माइंस से कोयला खनन का काम शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप ही नहीं किया। बिना खनन पट्टे के निजी कंपनी की फर्म कोयला खनन करती रही। कैग की रिपोर्ट के 5 साल बाद सरकार व प्रशासन ने कंपनी से जुर्माना राशि वसूली न अवैध खनन रोकने की जहमत जुटाई। इसका फायदा उठाकर अवैध खनन का कारोबार चलता रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि खान विभाग के एमई ने उच्च अधिकारियों से जिंदल समूह की कंपनी से जुर्माना वसूलने के लिए मार्गदर्शन मांगा, लेकिन अफसरों ने कार्रवाई ही रोक दी। खान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कपूरड़ी माइंस से वर्ष 2011 से कोयला खनन का काम शुरू हुआ था। सालाना औसत 50 से 55 लाख मीट्रिक टन कोयला का खनन किया गया। इस हिसाब से पिछले 11 साल में 480 लाख मीट्रिक टन कोयले का अवैध खनन कर राजवेस्ट कंपनी के पॉवर प्लांट को सप्लाई किया गया। इसी तरह जालीपा माइंस से खनन वर्ष 2017 से शुरू हुआ। इस माइंस से सालाना औसत 10 लाख मीट्रिक टन कोयला उत्खनन होता है। अब तक करीब 60 लाख मीट्रिक टन कोयले का अवैध खनन किया गया। यानी जिंदल समूह की कंपनी के प्लांट को चलाने के लिए दोनों माइंस से 540 लाख मीट्रिक टन कोयला बेचा गया। जालीपा व कपूरड़ी लिग्नाइट माइंस का खनन कार्य शुरू होने से पहले केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने खनन पट्टा आरएसएमएमएल के नाम जारी कर दिया। जिंदल समूह की कंपनी राजवेस्ट ने पॉवर प्लांट के लिए दोनों माइंस पर खुद की कंपनी का कब्जा जमाने के लिए पहले बीएलएमसीएल के नाम से खनन पट्टे के प्रयास किए, लेकिन बात नहीं बनी तो फिर आरएसएमएमएल से बीएलएमसीएल के नाम से एग्रीमेंट करवा दिया। इसके आधार पर बीएलएमसीएल ने खनन का टेंडर साउथ-वेस्ट माइनिंग को सौंप दिया।
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