Aapka Rajasthan

Banswara विश्व आदिवासी दिवस आज, जिलेभर में होंगे संस्कृति विविध आयोजन

 
Banswara विश्व आदिवासी दिवस आज,  जिलेभर में होंगे संस्कृति विविध आयोजन

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा आदिवासियों के मूलभूत अधिकारों की सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। समय के साथ शैक्षिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में ऊंची उड़ान भर रहे प्रकृति प्रेमी आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति व परंपराएं आज भी नजीर पेश करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने गठन के 50 वर्ष बाद 1994 में यह महसूस किया कि 21वीं सदी में विभिन्न देशों में निवासरत जनजाति मूल निवासी समाज उपेक्षा, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव, विस्थापन, बेरोेजगारी जैसी समस्याओं से ग्रसित हैं।आदिवासी समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए 23 दिसम्बर 1994 को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय किया। यूएनओ के 25 से 29 जुलाई 1994 तक जेनेवा विश्व सम्मेलन में रांची से आदिवासी विचारक डॉ.रामदयाल मुंडा व राजस्थान से डॉ. वेलाराम घोगरा ने भागीदारी की थी।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने मूल निवासियों के लिए धारा 1 से 46 के तहत अधिकारों की घोषणा की है। इन धाराओं में आदिवासी समाज के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों, आदिवासियों की परम्परागत स्वशासी व्यवस्था समाज के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए परम्परागत ज्ञान, आत्मसम्मान को बनाए रखने आदि अधिकारों की घोषणा की है। आदिवासी दिवस को मनाने का उद्धेश्य राज्यों, देश व संयुक्त राष्ट्र संघ तक अपने क्षेत्र के मुद्दे व समस्याओं को स्वयं के नेतृत्व में रखने की पहल करना है। संविधान के अनुच्छेद 244 व 244 क के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित प्रावधान हैं। पांचवीं तथा छठी अनुसूची में विशेष उपबंध किए हैं।

राज्यपाल को शक्तियां दी गई हैं। जनजाति सलाहकार परिषद स्थापित करने का प्रावधान है। राजस्थान के संदर्भ में राष्ट्रपति ने 2 फरवरी, 1981 को अनुसूचित क्षेत्र निश्चित किया। बाद में इसका विस्तार भी किया और अनुसूचित क्षेत्र के विकास के लिए नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की है। वर्तमान में अनुसूचित क्षेत्र में राजस्थान की जनजाति आबादी की करीब 45 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण व राज्य सेवाओं में पृथक आरक्षण की मांग की जा रही है। पृथक आरक्षण नहीं होने से कुछ ही लोग उच्च पदों पर पहुंच सके हैं। इस गति को बढ़ाना होगा। अनुसूचित क्षेत्र में आरक्षण व्यवस्था के लिए जारी अधिसूचना 2013 व 2016 में आरक्षण विसंगति में सुधार के साथ ही पृथक राज्य की मांग की जा रही है। राज्य सरकार ने बांसवाड़ा को संभाग बनाया है। क्षेत्र के विकास के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन, समीक्षा-मूल्यांकन की व्यवस्था के साथ मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देना जरूरी है। जिले का आदिवासी समाज अब धीरे-धीरे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। शिक्षा के प्रति रुझान कहीं ज्यादा बढ़ा है और अब बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल-कॉलेजों में पढऩे के साथ ही उच्च शिक्षा के लिए बाहर भी जा रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में युवा प्रतियोगी परीक्षाएं पास कर सरकारी नौकरी में उच्च पदों तक भी पहुंच बना रहे है।