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क्या बांसवाड़ा में होगा कांग्रेस-BAP का गठबंधन? अटकलों के कयास जारी, जानें सियासी समीकरण

 
क्या बांसवाड़ा में होगा कांग्रेस-BAP का गठबंधन? अटकलों के कयास जारी, जानें सियासी समीकरण 
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क,  लोकसभा को लेकर हलचल बाद रही है. राजस्थान में एक मात्र सीट बची है जहां कांग्रेस ने अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. वह है बांसवाड़ा लोकसभा सीट. यहां कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के बीच गठबंधन की अटकलें चल रही है. इसी बीच भारत आदिवासी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गठबंधन को लेकर एक मैसेज पोस्ट किया ही, जिसमें दक्षिणी राजस्थान में कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाए और राहुल गांधी के लिए भी कहा. प्वाइंट में जानिए क्या कहा आदिवासी पार्टी ने. आदिवासी पार्टी की तरफ से कहा गया, "वर्तमान में भारत में आदिवासियों के साथ सत्ताधारी दलों ने धोखेबाजी भरा व्यवहार किया है. सत्ताधारी दलों द्वारा प्रतिदिन आदिवासियों की जल जंगल जमीन छीनने की कोशिश की जा रही है जो अब आदिवासी समाज से छुपा हुआ नहीं है."
 
पार्टी ने कहा, "राहुल गांधी के आदिवासियों के प्रति न्याय की भावना को देखते हुए भारत आदिवासी पार्टी ने कांग्रेस गठबंधन से पिछले डेढ़ माह में पांच बार संवाद किया लेकिन कांग्रेस की तरफ से संवाद करने वाले हमसे केवल लेने की शर्तों पर संवाद कर रहे थे और हमारे प्रतिनिधि मंडल को ना ही राहुल गांधी अथवा राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने दिया गया." बीएपी ने आगे कहा, "कांग्रेस की तरफ से बात करने वाले प्रतिनिधिमंडल दल भारत आदिवासी पार्टी के विस्तार को रोकने की सोच के साथ भारत आदिवासी पार्टी को केवल एक लोकसभा सीट तक सीमित करना चाहते हैं. जो भारत आदिवासी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ सोच को दर्शाता हैं. भारत आदिवासी पार्टी गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन दक्षिण राजस्थान के कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी जो आदिवासियों से नफरत करते हैं वह इस गठबंधन के खिलाफ है."
 
पार्टी ने ये भी कहा, "कांग्रेस के वार्ताकार आदिवासी हितों को सर्वोपरि रखने वाली पार्टी (भारत आदिवासी पार्टी) को आगे बढ़ने से रोकने की नीति पर कार्य कर रहे हैं. - भारत आदिवासी पार्टी का गठन आदिवासियों के जल+जंगल+जमीन के प्राकृतिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जुलाई 2023 में हुआ है. पिछले आठ माह में चार विधायक और 13 लाख वोट लेकर भारत आदिवासी पार्टी देश भर में आदिवासी समाज की मजबूत आवाज़ बना हैं."
 
 सोशल मीडिया पोस्ट पर भारत आदिवासी पार्टी ने कहा, "हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक, संवैधानिक, प्रकृतिवादी विचारधारा और संगठन बनाने की व्यवस्था और जनप्रतिनिधि सलेक्शन प्रणाली को अधिकतम स्वीकार किया जा रहा है, जिस वजह से भारत आदिवासी पार्टी का विस्तार अब तक 9  राज्यों (आंध्रप्रदेश, उड़िसा,आसाम, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान)में हो चुका हैं. भारत आदिवासी पार्टी का लक्ष्य लोकसभा की स्वतंत्र और सामूहिक आवाज़ संसद में बुलंद करने वाला पहला आदिवासी सांसद भेजना जो कांग्रेस के वार्ताकार नहीं चाहते हैं.