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Banswara गढ़ी और घाटोल समेत राज्य की जिन सीटों पर असमंजस उनका फैसला चुनाव से ठीक पहले हो आएगा

 
Banswara गढ़ी और घाटोल समेत राज्य की जिन सीटों पर असमंजस उनका फैसला चुनाव से ठीक पहले हो आएगा 

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा संवाददातामानगढ़ धाम पर राहुल गांधी की सभा के साथ ही प्रदेश कांग्रेस ने भी चुनाव के लिए प्रत्याशियों पर मंथन शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल आज या कल जयपुर में कांग्रेस आउटरीच कमेटी की बैठक में शामिल होंगे. जिसमें राज्य की 200 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा होगी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी कर्नाटक मॉडल का पालन करते हुए चुनाव से ठीक दो महीने पहले विजयी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेगी. पार्टी इनमें से करीब 100 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने वाली है. हालांकि, चयन समिति के मुताबिक जहां पायलट और गहलोत दोनों को जगह मिल गई है, दोनों अपने-अपने समर्थकों को मौका देने की कोशिश करेंगे, लेकिन सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी, जिनकी उम्मीदवारी का विरोध नहीं है और उनकी जीत लगभग तय है. प्रथम.. 100 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम फैसला चयन समिति करेगी. इसमें बांसवाड़ा विधानसभा की 5 सीटों में से 3 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय हैं. इनमें बागीदौरा विधानसभा से निवर्तमान मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया की उम्मीदवारी 100 फीसदी तय मानी जा रही है. क्योंकि इस क्षेत्र से कोई अन्य दावा नहीं निकलता. मालवीय के कारण ही बागीदौरा मुख्यालय वर्षों से कांग्रेस का गढ़ बना हुआ है।

वहीं दूसरी सीट बांसवाड़ा विधानसभा की है, जहां इस बार भी टीएडी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ही पार्टी का एकमात्र चेहरा हैं. इनके अलावा पार्टी के पास कोई दूसरा चेहरा नहीं है जो जनता के समर्थन को वोट में बदल सके. दिवंगत प्रधान हुर्तिंग खड़िया की पत्नी रमीला खड़िया पिछली बार कुशलगढ़ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ीं और टिकट हासिल किया। इसलिए कांग्रेस इस बार रमीला को पार्टी से टिकट देगी. रमीला शुरू से ही मुख्यमंत्री गहलोत की करीबी रही हैं. रमीला ने ढाई साल पहले सौदेबाजी मामले समेत गहलोत सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी. जिसका जिक्र खुद मुख्यमंत्री गहलोत सभाओं में सार्वजनिक मंच से कर चुके हैं. पार्टी ने लगभग तय कर लिया है कि टिकट के लिए उम्र की कोई शर्त नहीं होनी चाहिए. पहला मापदंड यह होगा कि दावेदार जीतने की स्थिति में है या नहीं। अगर कोई 80 साल का नेता खुद को जीतने की स्थिति में देखता है तो उसे टिकट दिया जाएगा. इसी तरह अगर 50 या 55 साल के किसी नेता की हालत खराब दिखे तो उसका टिकट काटने में देर नहीं की जाएगी. टिकट वितरण में देरी का असर जिले की गढ़ी और घाटोल विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिलेगा. क्योंकि इस बार भी पूर्व विधायक कांता भील, पूर्व संसदीय सचिव नानालाल निनामा यहां दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन चुनाव से पहले ही उनका विरोध शुरू हो गया है. दोनों उम्मीदवार पिछला चुनाव हार गये थे.

नानालाल ने 2008 में घाटोल को हराया था, लेकिन उस समय वह निर्दलीय लड़ रहे थे। 1998 के बाद से कांग्रेस यहां लगातार चुनाव जीतने में नाकाम रही है. उधर, गढ़ी में प्रधान कांता भील का विरोध हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और आयुक्त सुखजिंदर सिंह रंधावा को ज्ञापन के रूप में सौंपा गया है. सूत्रों के मुताबिक अब तक हुए सर्वे में गहलोत सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर अच्छा फीडबैक मिल रहा है. इसलिए यह तय है कि आगामी चुनाव में इन योजनाओं के नाम पर वोट मांगे जायेंगे. इसके अलावा बेरोजगारी, महंगाई, मणिपुर के हालात जैसे मुद्दों को भी सार्वजनिक किया जाएगा. इधर, कांग्रेस की ओर से राज्य की सभी 200 सीटों पर दो-दो पोल कराए जा चुके हैं और एक पोल अभी भी जारी है. सूत्रों ने कहा कि इन चुनावों से सभी सीटों पर शीर्ष दावेदारों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।