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Banswara जैन संत की हत्या देश के लिए कलंक है, जल्द सख्त कानून बनाया जाए

 
Banswara जैन संत की हत्या देश के लिए कलंक है, जल्द सख्त कानून बनाया जाए

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा कर्नाटक में जैन मुनि कामकुमार नंदी की नृशंस हत्या के विरोध में मंगलवार को सकल जैन समाज की ओर से आधे दिन का बंद रखा गया। जिला मुख्यालय पर आक्रोश रैली निकाली गई और जैन संतों की सुरक्षा सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। इस दौरान बंद का शहर में मिलाजुला असर रहा। सकल जैन समाजजन सुबह नौ बजे से गांधी मूर्ति पर एकत्र होना शुरू हो गए थे। यहां मुनि सक्षम सागर महाराज और शुभम सागर महाराज के सानिध्य में धर्मसभा हुई। जिसमें सकल जैन समाज के प्रतिनिधियों प्रदीप कोठारी, डॉ. डीके जैन सहित उप जिला प्रमुख डॉ. विकास बामनिया, सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी, विश्व हिंदू परिषद के रमेश तेली, भाजपा के मुकेश रावत, हकरू मईडा सहित अन्य ने संबोधित कर मुनि की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा की। जैन व सनातन धर्म के सभी संतों-महंतों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने, विहार एवं प्रवास के दौरान पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने की आवाज बुलंद की। संचालन महावीर बोहरा ने किया। इससे पहले धर्म ध्वजाओं के साथ दोनों मुनिगणों को समाजजन गांधी मूर्ति लेकर आए।

नेताओं की चुप्पी पर आश्चर्य

इससे पहले गांधी मूर्ति पर विनयांजलि सभा में मुनि शुभमसागर महाराज ने कहा कि भारत की पहचान जीयो और जीने दो, राम की मर्यादा और अहिंसा के सिद्धांतों में है। हत्या जैसा कृत्य एक मुनि के साथ नहीं, अपितु देवतुल्य के साथ किया है। इस घटना के बाद देश के नेताओं की चुप्पी पर आश्चर्य होता है। देश के लिए यह घटना कलंक समान है। हम अपनी संस्कृति भूलकर धर्मों में बंट गए है, जबकि प्राथमिकता मानवता को देनी चाहिए। आज दया व करूणा के भाव जाग्रत करने की आवश्यकता है।

मुनि सक्षम सागर ने कहा कि धर्म में राजनीति बड़ी बीमारी है। आज समाज के एकजुट होना होगा। आर्यिका विनयदर्शिताश्री ने कहा कि हम महावीर की संतान हैं, किंतु प्रतिकूल हालात में धर्म की रक्षा का दायित्व निभाना होगा। आर्यिका विदक्षाश्री ने कह कि आरोपियों ने संत के नहीं, धर्म के टुकड़े किए हैं। जैन धर्म सार्वभौमिक है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी धर्म के लोगों को आने आना हो। साथ ही समाज को संतों के विहार के दौरान अधिकाधिक संख्या में सहभागिता का संकल्प लेना चाहिए।