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Banswara गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं विद्यार्थी, अधूरे पड़े है परीक्षा फॉर्म

 
Banswara गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं विद्यार्थी, अधूरे पड़े है परीक्षा फॉर्म

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय सहित संबंधित कॉलेजों में छात्रों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा खासकर एमएससी में पढ़ने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. जिन्हें या तो पढ़ाई में सालों बर्बाद करना पड़ता है या फिर छात्रवृत्ति योजनाओं से समझौता करना पड़ता है। एमएससी की डिग्री दो साल में पूरी होती है। इसे पूरा करने में छात्रों को 6 महीने से एक साल तक का समय लग रहा है। सत्र के मुताबिक सेमेस्टर प्रणाली के तहत दूसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं जून माह में पूरी हो जानी चाहिए थीं, लेकिन अब आधा अक्टूबर बीत चुका है लेकिन परीक्षाओं का कोई अंत नहीं है। जबकि नियमानुसार पहला और तीसरा सेमेस्टर नवंबर-दिसंबर माह में होता है।

आनंदपुरी सीमा को बड़ा नुकसान, अब लिया बीएड में एडमिशन

जब मैं एक निजी कॉलेज में गया तो एक मामला सामने आया कि आनंदपुरी के पास वहां पढ़ने वाली सीमा ने पिछले साल कॉलेज में एसएसी में प्रवेश लिया था। इसी बीच हाल ही में हुई पीटीईटी परीक्षा में उन्हें बीएड करने के लिए कॉलेज आवंटित हो गया। इसके चलते सीमा को एमएससी अधूरी छोड़कर बीएड में एडमिशन लेना पड़ा। जिसमें उन्हें न सिर्फ फीस का नुकसान हुआ बल्कि पूरी स्कॉलरशिप भी नहीं मिली। नियमों के मुताबिक, अगर यूनिवर्सिटी ने दूसरा सेमेस्टर पूरा कर लिया होता तो सीमा बीएड करने के बाद वापस तीसरे सेमेस्टर से एमएससी में एडमिशन ले सकती थी। साथ ही उन्हें एक साल के दो सेमेस्टर की पूरी स्कॉलरशिप भी मिल जाती. लेकिन पहले सेमेस्टर के बाद सीमा को माइग्रेशन लेकर बीएड में एडमिशन लेना पड़ा, अब दोबारा एमएससी करने के लिए उसे फिर से पहले सेमेस्टर से शुरुआत करनी होगी।

छात्र बोले- अब तीसरे सेमेस्टर के लिए कम समय मिलेगा

दूसरे सेमेस्टर की छात्रा मिताली सिंह ने कहा कि दूसरा सेमेस्टर समय पर पूरा नहीं होने के कारण तीसरे सेमेस्टर में पढ़ाई के लिए बहुत कम समय मिलेगा. क्योंकि डिग्री दो साल में पूरी करनी होगी. खाडू कॉलोनी निवासी नीटू ने कहा कि सेमेस्टर परीक्षाएं तीन से चार महीने देरी से हो रही हैं। आगे हम बीएड करना चाहते हैं, लेकिन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में दिक्कत आएगी। दरअसल, गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की शुरुआत 2012 में हुई थी लेकिन इस विश्वविद्यालय में कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक के अलावा कोई स्थायी स्टाफ नहीं है। इतने वर्षों बाद भी यहां न तो शैक्षणिक पदों पर भर्ती हो पाई है और न ही गैर शैक्षणिक पदों पर। ऐसे में सरकारी कॉलेजों से प्रोफेसरों को तैनात कर और कुछ प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मियों को लगाकर पूरा प्रबंधन किया जा रहा है।

कोरोना के कारण परीक्षा में रहा गैप: कुलपति

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद जब हमने कुलपति प्रो केएस ठाकुर से बात की तो उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि परीक्षा समय पर नहीं होगी. जब उन्हें यह पूरी घटना बताई गई तो वह भी चौंक गए और तुरंत परीक्षा नियंत्रक को फोन कर पूरे मामले की जानकारी ली, बाद में यूनिवर्सिटी का पक्ष रखा. कुलपति ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले सत्रों में प्रवेश प्रक्रिया में काफी समय लगा, जिसके कारण सेमेस्टर परीक्षाएं भी स्थगित होती रहीं। अब से हमारा प्रयास रहेगा कि अतिरिक्त कक्षाएं लेकर भी अगले सेमेस्टर की परीक्षाएं समय पर पूरी कराई जाएं। अगले सत्र से सेमेस्टर समय पर होने लगेंगे।